गणेश चतुर्थी का त्यौहार महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्यौहार है। महाराष्ट्र के लोग इसे अपने रीति-रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाते हैं,जो 10 दिनों तक चलता है। सनातन संस्कृति के लोग किसी भी देवी देवता की पूजा करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं। भगवान श्री गणेश को विनायक, गजानन, एकदंत और विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है।
क्या होती है गणेश चतुर्थी ?
ये हिंदुओं का एक विशेष त्यौहार है, जिसे भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य के रूप में मनाते है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। गणेश उत्सव के दौरान चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में लोग अपने घरों में तथा कई सार्वजनिक स्थलों पर भगवान श्री गणेश के मूर्ति की स्थापना करते हैं और लगातार 10 दिनों तक अपने रीति-रिवाजों के साथ विधिवत उनकी पूजा अर्चना करते हैं। गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना के ठीक दसवें दिन अनंत चतुर्दशी तिथि को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है।
कब मनाते है गणेश चतुर्थी ?
हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत एवं त्यौहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन लोग चतुर्थी का व्रत रखते हैं और इसी दिन से ही गणेश उत्सव की शुरुआत भी होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक गणेश चतुर्थी अगस्त माह के अंतिम सप्ताह और सितंबर के शुरुआती सप्ताह के बीच में पडती है। लेकिन इस बार साल 2023 में अधिक मास होने के कारण गणेश चतुर्थी सितंबर के मध्य माह में मनाई जाएगी।
इस त्यौहार का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी नाम दिया गया। उनके पूजन से घर में सुख समृद्धि और वृद्धि आती है। शिवपुराण में भाद्रमास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को गणेश का जन्मदिन बताया गया है। जबकि जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
मनाने की विधि
इस महोत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी व्रत के साथ ही होती है तथा अनंत चतुर्दशी तक मनाई जाती है। गणेश महोत्सव मनाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के यज्ञ अनुष्ठान किए जाते हैं।
- प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के दौरान भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापना की जाती है और पुनः 16 रूपों में भगवान गणेश को श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं और पूरे विधि विधान के साथ अगले 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है।
- लड्डू और मोदक भगवान गणेश के प्रिय व्यंजन माने जाते हैं इसके अलावा भी बहुत से पकवान बनाकर भगवान श्रीगणेश को चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
- इस महोत्सव का अगला अनुष्ठान उत्तर पूजा होता है स्थापना के बाद इस अनुष्ठान को किए बिना मूर्ति को कहीं ले जाया नहीं जा सकता। इसलिए उत्तर पूजा का अनुष्ठान करके गणपति बाप्पा की मूर्ति को विस्थापित किया जा सकता है।
- इस महोत्सव का अंतिम अनुष्ठान गणपति विसर्जन होता है जिस दौरान भगवान श्री गणेश की स्थापित मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। इसी विसर्जन के साथ गणेश महोत्सव का समापन हो जाता है और समापन के उपलक्ष में भंडारे इत्यादि का आयोजन किया जाता है।