आज से 12 साल पहले पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई को दहला कर रख दिया था। 10 आतंकवादियों ने मुंबई के 10 पॉश इलाकों को निशाना बनाया था जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। 26/11 की इस घटना को आजतक देशवासी भूल नहीं पाए। आतंकवादियों ने दक्षिण मुंबई के पॉश इलाकों को निशाना बनाया था। आतंकियों के निशाने पर उस वक्त छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस कॉम्प्लेक्स, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल और टॉवर, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और कामा अस्पताल थे। इस दौरान 160 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस हादसे में कई जांबाज ने भी लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया था। आइए इन पांच जांबाजों के बारे में बताते हैं..
हेमंत करकरे
हेमंत करकरे एसटीएफ के प्रमख थे। 26/11 हमले के दौरान हेमंत ने अपनी जान गंवा दी थी। जिस वक्त आतंकवादी मुंबई हमले को दहलाने में लगे थे, उस वक्त हेमंत अपने घर पर थे और खाना खा रहे थे। जानकारी मिलते ही हेमंत ने अपना खाना आधे में ही रोक दिया और तुरंत अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड के साथ सीएसटी स्टेशन के लिए रवाना हो गए थे। वहां पहुंचते ही हेमंत को पता चला था कि आतंकवादी सीएसटी में हमले को अंजाम देने के बाद कामा अस्पताल में पहुंच गए थे। कामा अस्पताल के बाहर अंधाधुंध फायरिंग में हेमंत ने अपनी जान गंवा दी थी। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
तुकाराम ओंबले
मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ने भी मुंबई हमले में अपनी जांबाजी दिखाई थी। तुकाराम ने ही हमले के साजिशकर्ता अजमल कसाब को बिना किसी हथियार के पकड़ा था। इस दौरान कसाब ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग की थी जिसके बाद वह शहीद हो गए थे। मरणोपरांत तुकाराम ओंबले को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
अशोक काम्टे
जिस वक्त हेमंत करकरे कामा अस्पताल मोर्चा संभालने गए थे, उस वक्त अशोक काम्टे पहले से ही कामा अस्पताल में मौजूद थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर आतंकी इस्माइल खान ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई और एक गोली उनके सिर में लग गई। घायल होने के बावजूद अशोक काम्टे ने दुश्मन को मार गिराया था। उवकी जांबाजी को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत सम्मान मिला था।
विजय सालस्कर
मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर भी मुंबई हमले में शहीद हो गए थे। वह कामा अस्पताल के पास मुठभेड़ के समय एटीएस चीफ हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ मौजूद थे। हमले के दौरान उस गाड़ी में सवार थे, जिसपर आतंकी कसाब और उसके साथी ने गोलियां बरसाई थीं। शहीद विजय को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
संदीप उन्नीकृष्णन
नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन 26/11 हमले के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे। ताज होटल के पास आतंकियों से लड़ाई में वह शहीद हो गए। मरणोपरांत साल 2009 में उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।