उपराष्ट्रपति पद (Vice President post) से जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के अचानक इस्तीफे (Resign) के दो दिन बाद इस मुद्दे पर सियासी घमासान (Political turmoil) और तेज हो गया है। बुधवार को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी काउंसिल (Business Advisory Council.- BAC) की बैठक में कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़ते हुए धनखड़ को विदाई देने का औपचारिक प्रस्ताव रखा। हालांकि सरकार ने इस प्रस्ताव के प्रति सहमति नहीं दिखाई। कांग्रेस का कहना है कि धनखड़ का इस्तीफा महज स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं।
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस के मुख्य व्हिप जयराम रमेश ने BAC की बैठक में यह मांग रखी कि चूंकि धनखड़ राज्यसभा के सभापति भी थे, ऐसे में उन्हें भी गुरुवार को विदाई दी जानी चाहिए। दरअसल राज्यसभा गुरुवार को सात सेवानिवृत्त सदस्यों को विदाई देने वाला है, जिनमें पीएमके के अंबुमणि रामदास और एमडीएमके के वाइको शामिल हैं। बताया जा रहा है कि बीएसी की बैठक के दौरान रमेश ने कहा कि धनखड़ के लिए भी एक “विदाई समारोह” होना चाहिए।
‘दाल में कुछ काला है’- खरगे
कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देना चाहती है। पार्टी का दावा है कि धनखड़ ने स्वेच्छा से नहीं बल्कि दबाव में इस्तीफा दिया है। विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा, “सरकार को जवाब देना चाहिए कि धनखड़ जी ने इस्तीफा क्यों दिया? इसके पीछे कौन है? देश को सच्चाई जाननी चाहिए। हमें लगता है कि ‘दाल में कुछ काला है’। वे स्वस्थ दिखते थे और हमेशा ऊर्जा से भरे रहते थे। उन्होंने तो बीजेपी और आरएसएस से ज्यादा बीजेपी-आरएसएस का बचाव किया।”
धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दो साल शेष रहते हुए ‘स्वास्थ्य कारणों’ और ‘चिकित्सकीय सलाह’ का हवाला देकर सोमवार रात इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उनके इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। वह अगस्त 2022 से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यरत थे, और उनका कार्यकाल 2027 तक था। उनके अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए हैं, खासकर तब जब वह सोमवार को दिन में राज्यसभा की कार्यवाही में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे थे।
क्या इस्तीफे के पीछे जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला?
सूत्रों के अनुसार, धनखड़ ने सोमवार को विपक्ष द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया था, जिसके बाद सरकार की रणनीति प्रभावित हुई। सरकार इस प्रस्ताव को लोकसभा में लाना चाहती थी, लेकिन धनखड़ ने बिना ट्रेजरी बेंच को सूचित किए इसे राज्यसभा में स्वीकार कर लिया। इसके बाद, सोमवार शाम को शीर्ष बीजेपी नेताओं के साथ उनकी बहस हुई, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
बैठक में मौजूद अन्य विपक्षी दलों ने कांग्रेस की फेयरवेल वाली मांग का समर्थन नहीं किया। हालांकि माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने भी सरकार से इस्तीफे के “हालात पर स्पष्टता” की मांग की। उन्होंने कहा, “सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, सरकार की ओर से एक वरिष्ठ मंत्री ने उनका इस्तीफा मांगा था।” उन्होंने यह भी कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें ‘किसान पुत्र’ कहकर प्रचारित करने और फिर इस्तीफे के बाद लंबे समय तक चुप्पी साधने से यह मामला और संदिग्ध हो गया है।”
बुधवार को चुनाव आयोग ने अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी, लेकिन धनखड़ की चुप्पी और सरकार की ओर से अब तक स्पष्ट बयान न आने से यह मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा है। इस बीच, BAC ने अगले सप्ताह मंगलवार से शुरू हो रहे सत्र में पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर 16 घंटे की चर्चा तय की है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी से इस चर्चा पर जवाब देने की मांग की है, हालांकि सरकार की ओर से इस पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है। सूत्रों के मुताबिक, पीएम इस अवसर का उपयोग कर सरकार का रुख स्पष्ट कर सकते हैं।