हर मसले को लेकर अपनी बेबाक राय रखने वाले एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है। ओवैसी ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह ट्रस्ट के बीच विवाद पर फैसला 1968 में ही आ गया था, तो इसे अब फिर से हवा देने की जरूरत क्यों है? उन्होंने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के मुताबिक, किसी भी पूजा स्थल पर परिवर्तन की मनाही है। ऐसा कतई नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ में ओवैसी ने ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘शाही ईदगाह ट्र्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने इस विवाद का निपटारा साल 1968 में ही कर लिया था। इसे अब फिर से जीवित क्यों किया जा रहा है?’ बता दें कि उनका यह ट्वीट फिर जमकर वायरल होने लगा। लोग इस पर जमकर अपना रिएक्शन देने लगे।
यहां पर हम आपको बताते चले कि मथुरा के एक सिविल कोर्ट में कृष्ण जन्मभूमि को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसमें एक-एक जमीन तक वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि भूमि भगवान कृष्ण के भक्तों और हिंदू समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र है। इस सिविल सूट को वकील विष्णु जैन ने दाखिल किया था। याचिका में भगवान श्री कृष्ण के जन्म को लेकर कहा गया है कि उनका जन्म राजा कंस के कारागाह में हुआ था। इस पूरे क्षेत्र को कटारा देव के रूप में भी जाना जाता है।
वहीं, याचिका में मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासन काल में अनेकों हिंदू मंदिरों को नेस्तानाबूद करने का काम किया था। इसमें मथुरा का कृष्ण मंदिर भी शामिल है। जिसे बाद में ढहा दिया गया, फिर बाद में उसी मंंदिर के अवशेष पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया।