चीन (China) की विस्तारवादी नीति से तो पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है. इन दिनों ड्रैगन पड़ोसी मुल्कों पर अपना कब्जा ठोकने के लिए उन्हें पहले कर्ज के बोझ तले दबा देता है और फिर उन पर अपनी मनमानी चलाता है. यहां तक कि चीन ने कैरेबियाई देश बारबाडोस के साथ भी यही चाल चली है. अपने कर्ज की जाल में फंसाकर चीन इस देश को अब अपनी आंख दिखा रहा है. ऐसे में गरीब और छोटे आइलैंड को चीन के विस्तावादी नीति में फंसते देख ब्रिटेन ने भी बीजिंग के खिलाफ मोर्चा खोला है. हाल ही में ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कूटनीतिज्ञों को चीन के विस्तारवाद नीति के विरोध में अभियान चलाने की बात कही है.
खबरों की माने तो बारबाडोस पर चीन की ओर से लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये देश चीन के बेल्ड एंड रोड पहल में सम्मिलित है. जिसके कारण ऐसे गरीब देशों को बंदरगाह और हाई स्पीड रेल लाइन्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पहले चीन उन्हें लालच देकर काफी बड़ी रकम लोन पर देता है. लेकिन जब ये रकम देश नहीं चुका पाता है तो चीन अपना विस्तारवादी नीति का पत्ता खेलते हुए इन्हीं प्रोजेक्ट्स को हथिया लेता है. यहां तक कि गरीब देशों को शर्तों को मानने पर मजबूर कर देता है. चीन का ये रूप श्रीलंका से लेकर मालदीव जैसे एशियाई देशों में देखने को मिल चुका है. इसी बीच बोरिस जॉनसन ने अपने हालिया बयान में ये संभावना जताई है कि, महामारी के इस भयावह दौर में आर्थिक मंदी झेल रहे कई कर्जदार देश चीन की इस गंदी चाल का शिकार हो जाएंगे.
आपको बता दें कि, ये वही बारबाडोस है, जो साल 1966 में ब्रिटेन से आजाद हुआ था. बीते हफ्ते ही इस देश ने ये ऐलान किया है कि साल 2021 में लोकतंत्र की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही गवर्नर जनरल डेम सांड्रा मासन ने अपने भाषण में कहा कि, औपनिवेशिक काल को हमेशा के लिए पीछे छोड़ने का समय आ चुका है, और बारबाडोस के रहने वाले लोग भी एक बारबाडियन राज्य प्रमुख चाहते हैं. इस बात को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन ने एक खुफिया रिपोर्ट शेयर करते हुए बताया है कि, कैसे इसी बात के लिए चीन बारबाडोस के साथ दबाव का खेल खेल रहा है. इस बारे में बात करते हुए विदेश मसलों की समिति के चेयरमैन टॉम टूंगेनधत ने बताया है कि, ऐसे वाक्या से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन किस तरीके से नए देशों को अपनी कर्ज नीति तले दबाकर उन पर अपना हुक्म चलाना चाहता है.
फिलहाल मीडिया खबरों की माने तो चीन का मकसद है कि, बारबाडोस, ब्रिटेन से अपना हर तरीके का संबंध समाप्त कर दे और फिर वो अपनी पंसद के शख्स को गद्दी पर बिठाए और खुद पूरा शासन संभाले. हालांकि इस बीच चारो तरफ से घिर चुके चीन को लेकर ये आशंका जताई जा रही है कि ब्रिटेन से उलझना चीन को भारी पड़ सकता है. क्योंकि अमेरिका काफी समय से चीन के विरोध में बोलता रहा है और यहां तक कि भारत के साथ भी चीन की खिंचातनी जारी है.