कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच रूस ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो हवा में ही बैक्टीरिया, विषाक्त पदार्थों और वायरस से होने वाली बीमारी का पता लगाने में सक्षम है. यह उपकरण कोरोना के वायरस की भी पहचान कर सकता है. हवाई रोगजनकों का पता लगाने के साथ ही यह विशेष उपकरण कुछ सेकेंड के भीतर संभावित खतरे की सूचना देता है, और फिर उसके स्रोत को इंगीत करता है.
शुक्रवार को मॉस्को के पास सैन्य-औद्योगिक मंच 2020 में ‘केमिस्ट्री बायो’ नाम के उपकरण को दिखाया गया जिसे KMZ फैक्ट्री द्वारा बनाया गया. इसकी डेवलपर टीम मास्को में गामालेया इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी में भी शामिल है. यह वही संस्थान है जिसने दुनिया को पहली कोरोना वायरस वैक्सीन देने का दावा किया है. यह कंपनी वैक्सीन का उत्पादन भी कर रही है.
डिटेक्टर बायो कोई पॉकेट गैजेट नहीं है, और यह कुछ हद तक रेफ्रिजरेटर की तरह दिखता है, इसके आकार को लेयर केक डिजाइन में तैयार किया गया है जो प्रभावी रूप से छोटी प्रयोगशालाओं की एक श्रृंखला होती है. प्रत्येक लेयर अपना परीक्षण स्वयं करता है.
मिनी-प्रयोगशालाओं के मल्टीपल लेयर वाले इस डिवाइस के जरिए हवा में कोरोना या अन्य दूसरी तरह के वायरस का पता लगाया जा सकता है. इसे विकसित करने वाली कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक स्पष्ट परिणाम देने के लिए दो चरणों में विश्लेषण किया जाता है.
पहले चरण के दौरान यह आसपास की हवा के नमूने एकत्र करता है, और 10-15 सेकेंड में वायरस, बैक्टीरिया या विषाक्त बैक्टीरिया के किसी भी निशान को लेकर सचेत करता है. हालांकि पहले चरण में शुरुआती स्तर पर विशिष्ट रोगजनक़ कारणों का पता नहीं लगा सकता है. दूसरे चरण में उपकरण यह निर्धारित करने के लिए हवा के नमूनों का एक बार फिर विस्तृत विश्लेषण करता है कि कौन सा पदार्थ या सूक्ष्म जीव मौजूद है. इस प्रकिया में एक से दो घंटे का समय लग सकता है.
यह उपकरण दुनिया में पहली बार कोरोना कहां और कैसे आया पता नहीं लगा सकता लेकिन इसे भीड़ वाली जगहों पर लगाया जाएगा. यह मुख्य रूप से मेट्रो, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लक्षित है.