झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Former Chief Minister Raghuvar Das) 27 दिसंबर को भाजपा (BJP) प्रदेश कार्यालय में पुन पार्टी की सदस्यता लेंगे। ओडिशा (Odisha) के राज्यपाल पद से इस्तीफे (Resignation from Governor post) के बाद रघुवर को फिर से राज्य की राजनीति में सक्रिय कर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने भाजपा में शामिल होने की पुष्टि करते हुए कहा कि रांची स्थित राज्य प्रदेश कार्यालय जाकर पार्टी की सदस्यता लेंगे। गुरुवार को वे रांची पहुंचेंगे।
रांची में सदस्यता लेने को लेकर आलाकमान का क्या संदेश
रघुवर के रांची में ही सदस्यता लेने को लेकर कार्यकर्ताओं में यह संकेत देने की कोशिश है कि वह झारखंड की राजनीति में ही रहेंगे। फरवरी में राज्य में नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन होना है। चर्चा है कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी सकती है, वहीं वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का नेता चुना जा सकता है।
रघुवर के रांची में ही सदस्यता लेने को लेकर कार्यकर्ताओं में यह संकेत देने की कोशिश है कि वह झारखंड की राजनीति में ही रहेंगे। फरवरी में राज्य में नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन होना है। चर्चा है कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी सकती है, वहीं वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का नेता चुना जा सकता है।
चुनाव से पहले हो सकता था इस्तीफा: सूत्र
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रघुवर दास का इस्तीफा झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले ही होना था, लेकिन आलाकमान ने तय किया था कि चुनाव के दौरान राजनीति में उनकी इंट्री से नेतृत्व को लेकर कई कयास लगाए जा सकते थे। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव परिणामों के बाद यह फैसला कर लिया था कि रघुवर दास को झारखंड की राजनीति में फिर से लाया जाएगा।नए समीकरण साधने की कोशिश
बीते विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटरों द्वारा नकारे जाने के बाद भाजपा फिर सोशल इंजीनियरिंग में जुटी है। रघुवर राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं। उनके भाजपा में आने के बाद पार्टी को नया दमखम मिलेगा। पार्टी दलित वोट बैंक को भी साधने की कोशिश में जुटी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रघुवर दास का इस्तीफा झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले ही होना था, लेकिन आलाकमान ने तय किया था कि चुनाव के दौरान राजनीति में उनकी इंट्री से नेतृत्व को लेकर कई कयास लगाए जा सकते थे। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव परिणामों के बाद यह फैसला कर लिया था कि रघुवर दास को झारखंड की राजनीति में फिर से लाया जाएगा।नए समीकरण साधने की कोशिश
बीते विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटरों द्वारा नकारे जाने के बाद भाजपा फिर सोशल इंजीनियरिंग में जुटी है। रघुवर राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं। उनके भाजपा में आने के बाद पार्टी को नया दमखम मिलेगा। पार्टी दलित वोट बैंक को भी साधने की कोशिश में जुटी है।