उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के गर्भगृह के लिए नेपाल की काली नदी से निकालकर लाई गई शालिग्राम शिला गुरुवार को जन्मभूमि पहुंच गई. इस मौके पर अयोध्या के साधु संतों ने विधि विधान के साथ शिला का दर्शन पूजन किया. इस मौके पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इन दोनों शिलाओं का हस्तांतरण पत्र ग्रहण किया. इससे पहले शालिग्राम शिला का हस्तांतरण पत्र सार्वजनिक रूप से पढ़ते हुए विधिवत इसका पूजन किया गया.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शालिग्राम शिला साक्षात भगवान विष्णु का प्रतिरूप है. इसलिए इन शिलाओं की स्थापना रामलला विराजमान के गर्भगृह में किया जाएगा. शिला पूजन के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा कि शिला के साथ नेपाल से करीब 150 संत महत्मा और महिला पुरुष आए हैं. इन शिलाओं को अयोध्या भेजने में नेपाल सरकार ने भी भरपूर समर्थन किया है. वहीं रास्ते में जगह जगह इन शिलाओं का भव्य और अभूतपूर्व स्वागत हुआ है.
उन्होंने कहा कि सर्वे करने वाले सर्वे करते रहें, उन्हें सर्वे नहीं आता. लेकिन बौद्धिक कसरत तो होनी ही चाहिए. इसी क्रम में जानकी धाम मंदिर के महंत रामसकल दास महाराज ने भी संबोधन किया. उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत के बीच दो देशों का रिश्ता नहीं, बल्कि बेटी और रोटी का रिश्ता है. यह रिश्ता हर दिन और हर पल बढ़ता ही रहेगा. उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध आदि काल से चला आ रहा है और अनंतकाल तक बरकरार रहेगा.
श्रीराम चरित मानस पर उंगली उठाने वाले मूर्ख
श्री जानकी धाम मंदिर के महंत रामसकल दास महाराज ने कहा कि श्रीराम चरित मानस पर उंगली उठाने वाले मूर्ख हैं. ये मूर्खता है और ऐसे लोगों को हनुमान जी क्षमा करें. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस का मर्म नहीं समझ पाने वाले लोग ही इस महान ग्रंथ पर सवाल उठा रहे हैं. यह बेहद शर्म की बात है. उन्होंने कहा कि श्रीराम चरित मानस का भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि पूरी दूनिया में श्रेष्ठ ग्रंथ का खिताब हासिल है.
शिलाओं के दर्शन पूजन के लिए भीड़
नेपाल से भगवान के गर्भगृह में रखने के लिए आई दोनों शिलाओं की खबर जैसे ही जनमानस को मिली, मंदिर क्षेत्र में भारी भीड़ लग गई. लोग इन शिलाओं के दर्शन और पूजन के लिए बेताब थे. इससे पहले रास्ते में जगह जगह इन शिलाओं को लेकर आ रहे ट्रकों को रोक कर भव्य स्वागत और पूजन किया गया. श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने बताया कि नेपाल से अयोध्या में रास्ते में श्रद्धालुओं ने दर्जनों स्थानों पर शिलाओं को रोककर स्वागत किया और दर्शन पूजन किया है.