पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में TMC नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा में दो बच्चों और तीन महिलाओं समेत आठ लोगों जान चली गई. वहीं, फोरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जिंदा जलाए गए आठ लोगों को नरसंहार से पहले बुरी तरह पीटा गया था. वहीं, घटना के संबंध में अब तक कम से कम 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. राज्य सरकार ने कथित रूप से लापरवाही बरतने के आरोप में कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. इसी कड़ी में गुरुवार को मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में रामपुरहाट के थाना प्रभारी त्रिदिप प्रामाणिक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है. यह जानकारी पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त डीजीपी कानून और व्यवस्था ने दी है.
वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अधिकारी ने कहा कि NHRC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भारत ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हत्याओं का स्वत: संज्ञान लिया है. वहां NHRC की टीम इसकी जांच करेगी.
ममता बोलीं- प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही हुई
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बीरभूम रामपुरहाट के बगतुई गांव में हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से बात करते हुए कहा कि प्रशासन की तरफ से बड़ी लापरवाही हुई है. TMC नेता की हत्या के बाद पुलिस को अलर्ट होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जो भी इसके पीछे है उन्हें सख्त सजा मिलेगी. उन्होंने कहा कि मृतक के परिवार को 5 लाख, जिनके घर जले है उन्हें एक लाख रूपए और घर चलाने के लिए 10 लोगों को नौकरी दी जाएगी.
शासन पर एक धब्बा है यह घटना: राज्यपाल
उधर, बीरभूम हिंसा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह एक शर्मनाक घटना है और शासन पर एक धब्बा है. लोकतंत्र में लोगों को इस तरह से जिंदा जलाना बहुत दर्दनाक होता है. राज्यपाल ने कहा कि मैं सरकार से रक्षा की पेशकश करने के बजाय सबक सीखने की अपील करता हूं.
कोर्ट के 24 घंटा निगरानी के आदेश
इस घटना पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और गुरुवार को 24 घंटा निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए हिंसा प्रभावित इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं.