सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता सरकार (Mamata government) को बड़ी राहत देते हुए हाई कोर्ट (High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें ओबीसी वर्ग की नई सूची बनाने से सरकार को रोक दिया गया था। पश्चिम बंगाल की सरकार ने हाल में ही ओबीसी ए और ओबीसी बी श्रेणियों में 140 उपवर्गों को आरक्षण देने के लिए नई सूची की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि 17 जून को कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। रिपोर्ट्स की मानें तो ममता सरकार के इस कदम से कई मुस्लिम उपवर्गों को भी ओबीसी के तहत आरक्षण मिल सकता है।
सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि इस मामले में यथास्थिति बनाए रखना आवश्यक है। पीठ ने यह कहते हुए कि आरक्षण कार्यपालिका की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है, हाई कोर्ट के उस आदेश को प्रथम दृष्टया गलत बताया और उस पर रोक लगा दी।
पीठ ने कहा, ‘यह आश्चर्यजनक है! हाई कोर्ट इस तरह कैसे रोक लगा सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्यों का हिस्सा है।’ पीठ ने आगे कहा, ‘जो भी हो, आयोग (ओबीसी) ने कुछ कार्यप्रणाली अपनाई है, जो सही हो सकती है या गलत, इसका फैसला हाई कोर्ट करेगा। प्रथम दृष्टया आदेश गलत है। हम आदेश पर रोक लगाते हैं।’
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय को 6-8 सप्ताह के भीतर इस मामले पर फैसला सुनाने का निर्देश दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘हम मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करेंगे कि वह एक विशेष पीठ का गठन करें, जिसमें विद्वान न्यायाधीश, (अध्यक्षता करने वाले को छोड़कर) सभी शामिल हों।’ पश्चिम बंगाल सरकार ने नई ओबीसी सूची पर रोक लगाने वाले 17 जून के हाई कोर्ट के आदेश की वैधता को चुनौती दी है। राज्य ने यह नई सूची मई 2024 में उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी सूची में 77 समुदायों को शामिल करने के फैसले को रद्द करने के बाद तैयार की थी।