केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीबीएसई 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए ग्रेड/अंक देने के लिए अपना मूल्यांकन फॉर्मूला पेश किया. केंद्र ने बताया कि 12वीं कक्षा के परिणाम कक्षा 10 (30% वेटेज), कक्षा 11 (30% वेटेज) और कक्षा 12 (40% वेटेज) में प्रदर्शन के आधार पर तय किए जाएंगे.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि मूल्यांकन के फॉर्मूले से असंतुष्ट सीबीएसई छात्रों को 12वीं कक्षा की परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा, जो महामारी के हालात में सुधार होने पर कराई जाएगी.
शीर्ष न्यायालय ने वेणुगोपाल से सीबीएसई की योजना में विवाद समाधान की व्यवस्था की रूपरेखा पेश करने को कहा, ताकि छात्रों की शिकायतों पर सुनवाई की जा सके. वेणुगोपाल ने पीठ को आश्वस्त किया कि छात्रों की किसी भी चिंता के निदान के लिए एक समिति गठित की जाएगी.
न्यायालय ने कहा कि नतीजों की घोषणा और 12वीं कक्षा की प्रस्तावित परीक्षा कराने के लिए समयसीमा भी स्पष्ट की जाए. न्यायालय ने कहा कि उसने कुछ याचिकाकर्ताओं की दलीलों को भी खारिज कर दिया है कि बोर्ड परीक्षाएं रद्द कराने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए.
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परिणाम की घोषणा 31 जुलाई 2021 तक की जाएगी.
मॉडरेशन कमेटी करेगी मूल्यांकन की जांच
उन्होंने कहा कि जहां तक 12वीं कक्षा के लिए अंतिम अंक प्रदान करने का संबंध है, इसके लिए विभिन्न स्कूलों द्वारा अपनाए गए मार्किंग मैकेनिज्म (अंक देने की प्रणाली) में अंतर को देखने के लिए एक मॉडरेशन कमेटी हो सकती है.
उन्होंने अदालत को बताया कि प्रत्येक स्कूल को तीन परीक्षाओं में प्राप्त छात्रों के अंकों पर विचार करने के लिए एक परिणाम समिति बनानी होगी, जिसे सीबीएसई की मॉडरेशन कमेटी द्वारा जांचा जाएगा.
बता दें कि सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट का मूल्यांकन फॉर्मूला तय करने के लिए एक कमेटी बनाई थी. 12 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट के आधार पर मूल्यांकन फॉर्मूला बनाया गया है.