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शरीर शिवालय है और हृदय स्थल में होती है भगवान शिव की आराधना : साध्वी ब्रह्म निष्ठा भारती

रिपोर्ट- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता, दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
 
देवबंद (दैनिक संवाद न्यूज)।
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में परम पूजनीय गुरुदेव आशुतोष महाराजकी कृपा से शिव पार्क टीचर्स कॉलोनी देवबंद में पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया है। कथा के द्वितीय दिवस में परम पूजनीय गुरुदेव आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री ब्रह्म निष्ठा भारती ने कहा मानव का जीवन तभी सार्थक हो पाएगा जब शिव तत्व का साक्षात्कार वह अपने भीतर करेगा। मानव जीवन का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति है। इसके लिए भक्तों को किसी पर्वत की चोटी पर या किसी कंदरा में जाने की जरूरत नहीं है।
शिव तो मानव के अंतःकरण में विराजमान रहते हैं। शास्त्र कहते हैं-देहं प्रोक्तम् शिवालयम्। यह शरीर शिवालय है और हृदय स्थल के मध्य ज्ञान के द्वारा भगवान शिव की आराधना की जाती है तभी भक्ति पूर्ण हो पाती है। त्रिनेत्रधारी भगवान शिव जिन्हें भक्ति त्रयंबक नाम से भी पुकारते हैं भक्तों को संकेत करते हैं कि ऐसा शिव तेज मानव के दोनों नेत्रों के मध्य भाग में विद्यमान तृतीय नेत्र में है। परंतु जीवन भर यह तृतीय नेत्र बंद रहता है। सद्गुरु की कृपा ही इस दिव्य चक्षु को खोलती है मानव का हृदय ईश्वरीय प्रकाश से झिलमिला उठता है। कथा प्रसंग में साध्वी जी ने बताया कि किस तरह से सती अपने पिता की यज्ञ में स्वयं को दहन कर देती है और फिर पार्वती के रूप में नया जन्म लेती है भगवान शिव से मिलने के लिए। संस्थान अंतर्दृष्टि प्रोजेक्ट के तहत जिन नेत्रहीन लोगों पर कार्यरत है ,उन्होंने कभी बाहर का सूर्य नहीं देखा परंतु ज्ञान चक्षु खुलते ही भीतर उसे प्रभु प्रकाश का निरंतर ध्यान करते हैं। उस तृतीय नेत्र को सभी भक्तजन अवश्य प्राप्त करें। आज के
मुख्य अतिथि अरुण गुप्ता – नगर अध्यक्ष, बीजेपी देवबंद  रहे।