लॉकडाउन तीन में शुरू हुई शराब की बिक्री ने एक दिन में सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में लगभग 300 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई। राजधानी लखनऊ में आठ करोड़ रुपये की शराब बिक गई जबकि दर्जन भर जिले ऐसे रहे जहां पांच करोड़ रुपये या उसके आसपास शराब बिकी।
सुबह दुकान खुलने से पहले ही शराब की दुकानों पर लंबी कतारें लग गईं। पूरा-पूरा कैरेट शराब की खरीद रहे थे। कुछ दुकानों पर शाम होते-होते स्टॉक की शार्टेज होने लगी। हालांकि इससे पहले ही सरकार ने बिक्री पर ब्रेक लगाने के लिए लिमिट तय कर दी।
लेकिन तब तक बड़ी संख्या में विभिन्न श्रेणी की शराब बिक चुकी थी। शराब की बिक्री और नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसका जायजा लेने खुद प्रमुख सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी और आबकारी आयुक्त पी गुरू प्रसाद निकले।
उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ शराब की बिक्री के निर्देश दिए। दुकानों पर लंबी कतार और अधिक मात्रा में खरीदारी को देखते हुए विभाग ने निर्णय लिया कि एक बार में एक व्यक्ति अधिकतम 750 एमएल ही शराब दी जाएगी। इसमें एक बार मे एक बोतल, दो हाफ, तीन पव्वा, 375 एम एल बीयर की दो बोतल या तीन केन खरीदा जा सकता है।
आबकारी आयुक्त पी गुरु प्रसाद ने बताया कि लंबे समय बाद दुकानों के खुलने से सुबह से ही बंपर खरीदारी हो रही थी। स्टॉक कम न पड़ जाए इसे देखते हुए लिमिट तय की गई। दोपहर बाद इसे लागू कराया जा सका। तब तक बड़ी मात्रा में लोग शराब खरीद कर घर जा चुके थे। प्रमुख सचिव ने बताया कि यह लिमिट अगले दो दिनों तक जारी रहेगी।
वहीं कई स्थानों पर शराब की दुकानों पर उमड़ी भारी भीड़ की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सका। प्रमुख सचिव आबकारी ने बताया कि इस बात के सख्त निर्देश दिए गए थे कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए।
बिना मास्क या बिना फेस कवर किए लोगों को लाइन में ही न लगने दिया जाए। आगे भी इसका पालन सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने बताया कि यूपी में कहीं भी कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं है। इसकी तैयारी आबकारी विभाग और पुलिस विभाग ने मिलकर पहले से की थी। चीनी मिलों के इंस्पेक्टर को भी ड्यूटी पर लगाया गया था।
संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि शराब की बिक्री पर रोक के बाद अभियान चलाया गया था। 25 मार्च से 3 मई तक चले अभियान में एक लाख 61 हजार लीटर अवैध शराब जब्त की गई। इस दौरान 6264 मामले पकड़े गए।
इस में शामिल 898 व्यक्तियों को जेल भेजा गया तथा 63 वाहन भी जब्त किए गए। गिरफ्तार किए गए अपराधियों एवं जब्त किए गए वाहनों के विरूद्ध आबकारी अधिनियम एवं भारतीय दंड संहिता तथा मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए।