उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के देखते हुए सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। एक तरफ जहां बीजेपी में मंथन शुरू हो गया हैं। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई है। सपा का फोकस गैर यादव जातियों को अपने पक्ष में मिलाना है। साथ ही दूसरे दलों के तमाम पिछड़े वर्ग के असंतुष्ट नेताओं को पार्टी में शामिल करना है। पार्टी ने इन्हे अपने पक्ष में शामिल करने की मुहिम तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी की निगाह अपना दल के कृष्णा पटेल गुट से लेकर सुभासपा व अन्य छोटे दलों पर भी है।
सपा में शामिल होने लगे नेता
गौरतलब है कि हाल में कई कुर्मी नेताओं ने सपा का दामन थाम लिया था। अब सपा, बसपा से निकाले गए लालजी वर्मा को भी अपने पक्ष में लेना चाहती है। हालांकि लालजी वर्मा ने अभी अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। वहीं राजभर समाज के दिग्गज नेता राम अचल राजभर के लिए भी भाजपा व सपा दोनों ने रास्ते खोल रखे हैं। समाजवादी पार्टी में लाकडाउन खत्म होने के बाद से ही नेताओं की आमद शुरू हो गई है। हाल ही में पूर्व मंत्री व बांदा से भाजपा विधायक रहे शिव शंकर सिंह पटेल भी सपा में शामिल हुए।
सपा-भाजपा में है टक्कर
जानकारों का मानना है कि पिछड़ा वोट बैंक अपने पक्ष में करने के लिए सपा और भाजपा दोनों ने कमर कसी है लेकिन बसपा, कांग्रेस व अन्य छोटे दल अलग-अलग क्षेत्रों में इन जातियों में थोड़ा बहुत असर रखते हैं। इधर हाल ही में भाजपा विधायक के पति दिलीप वर्मा ने भी सपा के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई है। उन्होंने सपा का दामन थाम लिया है।पूर्व सांसद बाल कृष्ण पटेल पिछले साल कांग्रेस छोड़ कर सपा में शामिल हुए थे। जबकि दलित नेताओं में आरके चौधरी भी इसी साल सपा में शामिल हुए। बसपा सरकार में वित्तमंत्री रहे चुके केके गौतम भी सपा में आ चुके हैं। बसपा से पूर्व विधायक योगेश वर्मा अपनी पत्नी व मेरठ की मेयर सुनीता वर्मा के साथ सपा की सदस्यता ले ली।