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व्यक्तिगत मामला नहीं है यौन उत्पीड़न, इससे पड़ता है समाज पर असर: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक युवती के यौन उत्पीड़न, पीछा करने और उसकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर प्रसारित करने के आरोपी के खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है। दोनों पक्षों ने यह कहते हुए कोर्ट के सामने प्राथमिकी रद्द(FIR canceled) करने का आवेदन दिया था कि उनके बीच सुलह हो गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप व्यक्तिगत प्रकृति के नहीं, बल्कि समाज को प्रभावित करने वाले हैं।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता (Justice Mukta Gupta) ने कहा कि युवती की तस्वीर से छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया (social media) पर प्रसारित करने के कारण कई लोग पैसे के बदले उससे अवैध लाभ लेने का प्रयास करने लगे। ऐसे में एफआईआर को सिर्फ यह कहकर खारिज नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता को अपने कृत्य पर पछतावा है।

शिकायतकर्ता के अनुसार, कोचिंग सेंटर के साथी छात्र ने मित्रता की पेशकश की थी। युवती ने इसे ठुकरा दिया था। इसके बाद आरोपी ने उस पर दबाव डालना शुरू कर दिया, जिस कारण उसे कोचिंग छोड़नी पड़ी। युवती की शादी के बाद छात्र ने उसके पति को फोन कर युवती के चरित्रहीन होने की बात कही। इसके बाद उसने युवती को एसिड अटैक की धमकी भी दी। आखिरकार युवती ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

 

सिर्फ दो पक्षों का विवाद नहीं
अपराध की प्रकृति को देखते हुए दोनों पक्षों में समझौते के आधार पर प्राथमिकी रद्द करने के लिए यह उचित मामला नहीं है। याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो अपराध किया है, उसे सिर्फ दो पक्षों का विवाद नहीं कहा जा सकता।