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प्रयागराज में संतों ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की उठाई मांग, प्रस्‍ताव पारित

प्रयागराज माघ मेला (Prayagraj Magh Mela) के ब्रह्मर्षि आश्रम में शनिवार को धर्म संसद (Parliament of Religions) की ओर से आयोजित संत सम्मेलन हुआ। जिसमें सभी संतों ने एक स्वर में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग उठाई।सनातन धर्म व राष्ट्र के सामने व्याप्त चुनौतियों को लेकर प्रयागराज के संगम तट पर शनिवार को संत सम्मेलन हो रहा है। माघ मेला में जुटा संत समाज इस्लामिक जिहाद के खिलाफ और हिन्दू राष्ट्र निर्माण लिए संत सम्मेलन में विर्मश कर रहे हैं। इसके साथ ही संतों की एकता पर भी जोर दिया गया।

हमें योगी को लाना है : स्वामी आनंद स्वरूप
इस अवसर पर संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि इस्लामिक जिहाद के खिलाफ बात रखे जाने को लेकर बहुत दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन संत समाज इससे डिगने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 दिन से योगी आदित्यनाथ सत्ता में नहीं हैं। तब से इस्लामिक जिहाद पर बोलने से रोका जा रहा है। बैनर हटाने के लिए अधिकारियों की ओर से दबाव डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमें योगी को लाना है। हिन्दू राष्ट्र हर हाल में बनाएंगे। संत सम्मेलन में कहा गया कि हिन्दू दो से अधिक बच्चे पैदा करें। क्योंकि लोकतंत्र में उसी की सुनवाई होती है, जिसकी संख्या अधिक है।

-मतांतरण को देशद्रोह की श्रेणी में शामिल करना चाहिए : स्वामी नरेंद्रानंद
संत सम्मेलन में जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। राष्ट्र पुत्र हो सकता है, लेकिन पिता नहीं। अगर राष्ट्रपिता है तो माता कौन है? उसे भी बताना होगा। कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे। इतिहासकारों ने गलत जानकारी दी है। उन्होंने मतांतरण को देशद्रोह की श्रेणी में शामिल कर फांसी की सजा देने की मांग की।

– हमारा किसी जाति-धर्म विशेष से विरोध नहीं : स्वामी सागर सिंधु
धर्म संसद के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधनंद व संचालन समिति के सदस्य स्वामी सागर सिंधुराज ने हिंदुओं की घटती जनसंख्या, सनातन धर्म के सामने व्याप्त चुनौतियों जैसे अनेक मुद्दों पर चर्चा किया। स्वामी सागर सिंधु ने कहा कि हमारा किसी जाति-धर्म विशेष से विरोध नहीं है। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का सम्मान है, लेकिन खाने में थूक लगाने, गोली मारने वालों का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने किया।