अधिकतर सब लोग ये कहते हैं कि जो लोग रोते है, वो कमजोर होते हैं. रोना(Crying) कमजोरी माना जाता है. इसीलिए जितना भी पुरुष समाज है वो आंसू(Tears) नहीं बहाते हैं. उनको ये लगता है कि वो रोने से बुजदिल साबित हो जाएगें.पर विज्ञान में रोने को सही बताया गया है. विज्ञान में कहा गया है कि अगर आप अपने इमोशन्स को खुलकर व्यक्त करते हैं और हंसने के साथ साथ रोते भी हैं तो इसके आपकों कई सारे लाभ (Benefits) मिल सकते हैं. जैसे ही हंसना स्वास्थ्य (Health) के लिए बढ़िया होता है ठीक उसी तरह अगर आप रो लेते हैं तो शरीर और मन के लिए बहुत जरूरी और अच्छा होता है.
कितने तरह के होते हैं आंसू
आंसू तीन तरह के होते हैं. पहला रिफ्लैक्स (Reflex) आंसू. ये तब आते है जब आंखों में कुछ गंदगी या धुंआ चला जाता है. दूसरा होता है बुनियादी (Basal )आंसू. इस तरह के आंसू में लगभग 98 प्रतिशत पानी होता है और ये आंसू आंखों को लुब्रिकेट रखता है इसी के साथ इनसे इंफेक्शन से होने का खतरा नहीं होता है. तीसरे आंसू होते हैं भावनात्मक (Emotional ) आंसू. जिसमें स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इनका बाहर निकलना भी बहुत ज्यादा जरूरी होता है. बता दें कि केवल एक मनुष्य ही मात्र ऐसी प्रजाति है जो रो सकता है. ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि आखिर कभी कभी रोना क्यों जरूरी है.
रोने के फायदे
मिलता है आराम
जब भी आप मन भर कर रो लेते हैं, तो आप खुद को हल्का और फ्री महसूस कर पाते हैं. एक खबर के अनुसार, साल 2014 की एक रिसर्च में कहा गया कि अगर आप किसी बात से बहुत परेशान हैं और उस समस्या से निकल नहीं पा रहे हैं तो, आप खुद में आराम फील कर पाएंगे. इतना ही नहीं, इससे आपका स्ट्रेस भी कम हो जाएगा और आप खुद को शांत फील कर पाएंगे. जब आप रो लेते हैं तो किसी भी तरह का फैसला लेने में भी सक्षम होते हैं.
नहीं होता दर्द
रोने से आपकी बॉडी में जो ऑक्सीटॉसिन और इंडोरफिर कैमिकल्स रिलीज होता है , उससे आपका मूड बेहतर हो जाता है. इसके साथ साथ फिजिकल और मेंटल पेन भी कम हो जाता है.
टौक्सिन को करता है बाहर
इंसान जब भी किसी तरह के तनाव में रोता है तो उसके शरीर में रोने की वजह से टौक्सिन बनता है और ये धीरे धीरे आंसू के आंख के टौक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं. ये आंसू कई तरह के गुड हार्मोन्स को भी बाहर रिलीज करते हैं, जो हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद होता है.
आती है अच्छी नींद
साल 2015 में एक स्टडी में पाया गया कि जैसे ही बच्चा रोता है तो रोने के तुरंत बाद वो नींद में खो जाता है, उसे नींद अच्छी और गहरी आती है. ठीक यहीं काम वयस्कों में भी होता हैं. रोने से आपका दिमाग शांत हो जाता है, बेचैनी घटती जाती है और अच्छी तरह से नींद आती है.
आंखों की सेहत
आंसूओं से आंखें साफ भी होती है और ऐसा होने से ये कई तरह की बैक्टीरिया से बचाव भी करते हैं. साल 2011 की एक स्टडी बताया गया था कि आंसू में मौजूद लाइसोजाइम में पावरफुल एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं, जो आपकी आंखों के कई बायोटेरर एजेंट से आपको बचाती हैं.
बढ़ती है आंखों की रोशनी
नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार बुनियादी (Basal )आंसू आंखों को लुब्रिकेंट करने के साथ साथ आंखों की रोशनी पर भी असर डालते हैं और ये असर काफी अच्छा होता है, इससे आप साफ साफ देख पाने में सक्षम होते हैं. आंखों के मेंबरेंस की नमी को बनाए रखने में ये सक्षम होता है और इसे सूखने से भी बचाता है.