असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को विधानसभा में दावा किया कि उनके राज्य में मुस्लिम सबसे बड़ा समुदाय हो चुका है और उन्हें बहुसंख्यक समूह की तरह व्यवहार करना शुरू कर देना चाहिए. उन्होंने मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से बंगाली भाषी मूल के लोगों पर सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने का दायित्व भी डाला. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्य के “स्वदेशी मुसलमान” भी अपनी पहचान खोने के डर में हैं. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में सबूत होने का दावा किया, हालांकि उन्होंने इसे सदन में पेश नहीं किया.
सरमा ने राज्यपाल के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि “अल्पसंख्यक (मुसलमान) अब बहुसंख्यक हैं. वे राज्य की आबादी का 30-35 प्रतिशत हैं. लगभग एक करोड़ आबादी के साथ, वे सबसे बड़े समुदाय हैं और सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है.” 2011 की जनगणना के अनुसार, असम की 3.12 करोड़ की कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या 61.47 प्रतिशत है. मुसलमानों की आबादी 34.22 प्रतिशत है और वे कई जिलों में बहुसंख्यक हैं. जबकि राज्य में ईसाईयों की संख्या कुल लोगों की संख्या का 3.74 प्रतिशत है, सिखों, बौद्धों और जैनियों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है.
सरमा ने कहा कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि राज्य की प्रगति सीधे उनकी गतिविधियों से जुड़ी हुई है और उनसे राज्य के सामने आने वाली समस्याओं को कम करने के लिए गरीबी उन्मूलन, जनसंख्या नियंत्रण आदि की दिशा में काम करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि उन्हें खुद को “बाहरी” के रूप में सोचना बंद कर देना चाहिए और सांप्रदायिक एकता और सद्भाव पर ध्यान देना चाहिए. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने के साथ, उनमें अपनी पहचान खोने का डर बढ़ रहा है और इस आशंका के कारण उनके चारों ओर सुरक्षात्मक घेरा बन गया है. हालांकि, उन्होंने विस्तार से नहीं बताया कि “सुरक्षात्मक चक्र” में क्या निहित है.
हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी दावा किया कि “स्वदेशी मुसलमान” भी अपनी पहचान खोने के डर में हैं, जाहिर तौर पर उनके और बंगाली भाषी, प्रवासी मुसलमानों के बीच एक सीमांकन कर रहे हैं. 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित हाल ही में रिलीज हुई हिंदी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का जिक्र करते हुए सरमा ने कहा कि असम के लोग कश्मीरी पंडितों की तरह ही भाग्य से डर रहे हैं. भाजपा नेता ने कहा, “आपका (मुस्लिम समुदाय के लोग) कर्तव्य हमें आश्वस्त करना है कि यह यहां नहीं होगा. कृपया बहुसंख्यक समुदाय की तरह व्यवहार करना शुरू करें.”