खौफ के आलम के बीच लोगों के जेहन में राहत के ख्वाब भी पल रहे हैं। कभी वीरान हो चुकी गलियों में आज भले ही लोगों की आमद शुरू हो चली हो। दुकानों के शट्टर उठ चुके हो। बाजारों का सजना शुरू हो चुका हो। बदलावों की बयार के सहारे भले ही हालातों को दुरूस्त करने की होड़ मची हो। मगर हकीकत से मुंह मोड़ने की हिमाकत भारी न पड़ जाए इसलिए अब डब्लूएचओ ने साफ लहजे में और दो टूक कह दिया है कि आपको तैयार रहना होगा YOU WILL HAVE TO BE READY डब्लूएचओ के प्रमुख के मुंह से निकले ये शब्द अब भयावह तस्वीरों की तस्दीक करते नजर आ रहे हैं।
यहां पर हम आपको बताते चले कि डब्लूएचओ के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधनोम घ्रेबेसिस ने कहा कि मौजूदा हालातों को मद्देनजर रखते हुए अब आपको दूसरी महामारी के लिए तैयार रहना होगा। इस तैयारी के साथ-साथ डब्लूएचओ ने कुछ रास्तें भी सुझाए हैं। डब्लूएचओ ने कहा कि हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को दुरूस्त करने के लिए निवेश करना होगा। इतना ही नहीं, डब्लूएचओ ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आगामी दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
कैसी है हालिया स्थिति
वहीं अगर बात हालिया स्थिति की करें तो पूरी दुनिया में अभी तक 2.71 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 8.88 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। दिसंबर माह से लेकर अब तक इस वायरस ने हालातों को इस कदर गंभीर कर दिया है कि अब इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। उधर, डब्लूएचओ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस तरह की महामारी का सामना हम पहली मर्तबा कर रहे हैं बल्कि इससे पहले भी हम इस तरह की महामारी का सामना कर चुके हैं। यह महामारी एक सच्चाई है। इललिए भावी खतरों को भांपते हुए हमें अपनी तैयारी को दुरूस्त करना होगा।
लोगों की उम्मीदों पर फिरा पानी
WHO ने कहा कि हमें कोरोना पर फतह पाने के लिए पब्लिक हेल्थ सेक्टर पर निवेश करना होगा, ताकि हम इस पर फतह पा सके। हालांकि, पहले लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के परिणामस्वरूप कोरोना वैक्सीन बकर तैयार हो जाएगी। लेकिन अब माना जा रहा है कि ऐसा नहीं हो पाएगा। कोरोना की वैक्सीन इस साल तक नहीं बल्कि अगले 2021 तक बनकर तैयार हो जाएगी। बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से बनने वाले वैक्सीन से सबसे ज्यादा उम्मीदें मैक्सिको, अमेरिका और रूस को थी। सबको ऐसा लग रहा था कि इस साल के अंत तक वैक्सीन बन कर तैयार हो जाएगी। लेकिन अफसोस अब ऐसा नहीं हो पाएगा, जिससे लोगों की उम्मीदें टूटी है।