देश में बाल विवाह (child marriage) एक बड़ी समस्या बन गई है। जनरेशन बदलने के बावजूद देश के कई कोनों में बालिग होने से पहले ही शादियां कर दी जाती हैं, जोकि कानूनन गलत है। हालांकि, अब मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने बाल विवाह रोकने के लिए कमर कस ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने बाल विवाह पर लगाम लगाने के लिए अहम फैसला लिया है। दरअसल, राज्य सरकार ने सभी प्रिंटिंग प्रेस को निर्देश दिया है कि वे शादी के कार्ड में वर वधू की उम्र जरूर लिखे, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए छिंदवाड़ा जिले में लाडो अभियान चलाया गया है।
सरकार के फैसले के मुताबिक, सभी प्रिंटिंग प्रेस कंपनियों को कार्ड छापने से पहले ये कन्फर्म करना होगा कि दूल्हा दुल्हन बालिग हैं। इसकी जानकारी जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कल्पना तिवारी ने दी है। कल्पना तिवारी के मुताबिक, विवाह आयोजनों की विशेष तिथियों (बसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, आदि) के अवसर पर होने वाली शादियों में बाल-विवाह की संभावनाओं को देखते हुए ‘लाडो अभियान’ चलाया गया है। इसके तहत सभी प्रिंटिंग प्रेस को निर्देश दिए गए हैं कि वर-वधु की उम्र सुनिश्चित करने के लिए सभी ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स देखें।
इसके लिए हाई स्कूल मार्कशीट या दूल्हा-दुल्हन का बर्थ सर्टिफिकेट की भी मांग की जाएगी, ताकि सही से जांच करके बाल विवाह को रोका जा सके। कल्पना तिवारी की तरफ से कहा गया है कि अगर इनमें से कोई भी प्रमाण पत्र मिलने में अगर परेशानी हो तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल प्रमाण पत्र को मान्य करें और पूरे साल बाल विवाह रोकने में शासन की मदद करें। प्रावधानों के तहत बाल विवाह किए जाने पर आरोपियों को 2 साल की जेल के साथ एक लाख रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है।
बाल विवाह को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने 7 सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया है। इन जांच टीम के माध्यम से नियमों का पालन किया जा सकेगा। इस टीम के चेयरमैन संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार को बनाया गया है। समिति में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर, स्टेशन इंचार्ज और सेक्टर पर्यवेक्षक को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है।