सीआईडी इनपुट की सहायता से महीनों तक चुपचाप काम करने वाले जम्मू-कश्मीर राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) के जासूसों ने 27-31 वर्षों के बाद टाडा मामलों में फरार आठ आतंकवादियों को पकड़ लिया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने कहा, “जम्मू-कश्मीर की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने आज आठ फरार आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया है जो आतंकवाद और विघटनकारी गतिविधियों के गंभीर अपराधों में शामिल थे। ये लगभग तीन दशक पहले डोडा, जम्मू और कश्मीर जिलों के विभिन्न थानों में दर्ज टाडा मामलों में शामिल थे। उनके खिलाफ जम्मू के टाडा कोर्ट में आरोप पत्र दायर किये गये थे।”
पुलिस के अनुसार, ये फरार आतंकवादी दशकों तक भूमिगत रहकर और कुछ समय तक अज्ञात रहकर कानून के चंगुल से भागने में कामयाब रहे और फिर अपने मूल या कुछ दूर के स्थानों पर सामान्य पारिवारिक जीवन जीने के लिए फिर से सामने आए। पुलिस ने कहा कि इनमें से कुछ आतंकवादी भगोड़े सरकारी सेवाएं और अनुबंध प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं, अन्य निजी व्यवसायों और यहां तक कि अदालत में काम करते हुए भी पाए गए।
पकड़े गए आठ भगोड़े आतंकवादियों में आदिल फारूक फरीदी, (वर्तमान में जेके बोस, जम्मू में तैनात सरकारी कर्मचारी), मोहम्मद इकबाल, मुजाहिद हुसैन उर्फ निसार अहमद, तारिक हुसैन, इश्तियाक अहमद देव उर्फ अजाज, अजाज अहमद उर्फ मोहम्मद, इकबाल, जमील अहमद उर्फ जुगनू उर्फ चिका खान और इशफाक अहमद (कोर्ट परिसर डोडा में राइटर के रूप में कार्यरत) शामिल हैं। पुलिस ने कहा, उपरोक्त भगोड़े आतंकवादियों के खिलाफ जारी वारंट के अनुपालन में उन्हें टाडा/पोटा अदालत जम्मू के समक्ष पेश किया जाएगा।
पुलिस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शून्य आतंकवाद हासिल करने के अपने बड़े उद्देश्य और जनादेश के अनुसरण में एसआईए ने कानून के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए आतंकवाद से संबंधित मामलों के सभी भगोड़ों का पता लगाने और संबंधित अदालत के समक्ष पेश करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है।
एसआईए ने अब तक 327 टाडा/पोटा मामलों में 734 भगोड़ों (जम्मू में 317 और कश्मीर में 417) में से 369 (215-जम्मू और 154-कश्मीर) भगोड़ों का सत्यापन और पहचान की है। सत्यापित 369 भगोड़ों में से 127 का पता नहीं चला, 80 की मौत हो चुकी है और 45 पाकिस्तान/पीओके या दूसरे देशों में रह रहे हैं और 4 जेल में बंद हैं।
ये भगोड़े आतंकवादी कानून से बचने और इतने लंबे समय तक पता लगाए बिना अपने मूल स्थान पर सामान्य जीवन जीने में कैसे कामयाब रहे और बड़ी आपराधिक साजिश और उसके सांठगांठ के अन्य पहलुओं और अंदरूनी सूत्रों की भूमिका की भी एसआईए द्वारा जांच की जाएगी।