हर हर महादेव. भगवान शिव सभी कष्टों को हर लेते हैं. इसीलिए भगवान शिव को हर हर महादेव कहा जाता है. भोलेनाथ को सावन का महीना अति प्रिय है. इस मास में जो लोग विधि पूर्वक भगवान शिव की उपासना करते हैं उन्हें कष्टों पर विजय प्राप्त होती है. जिस प्रकार से सावन में सोमवार का विशेष महत्व है उसी प्रकार से त्रयोदशी की तिथि को भी महत्वपूर्ण माना गया है.
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)
पंचांग के अनुसार एक माह में दो त्रयोदशी की तिथि पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में. त्रयोदशी को तेरस भी कहा जाता है. इस तिथि को प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.सावन की त्रयोदशी की तिथि का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
त्रयोदशी तिथि कब प्रारंभ होगी और प्रदोष काल (Pradosh Vrat August 2022)
पंचांग की गणना के अनुसार 9 अगस्त 2022, मंगलवार को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर त्रयोदशी की तिथि प्रारंभ होगी. जब मंगलवार को प्रदोष व्रत पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. त्रयोदशी की तिथि का समापन 10 अगस्त 2022, बुधवार को दोपहर 2 बजकर 16 मिनट पर होगा.
प्रदोष काल (Pradosh Kaal Time Today)
पंचांग के अनुसार भौम प्रदोष व्रत में शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त आज यानि 9 अगस्त को शाम 07:06 बजे से रात 09:14 बजे तक रहेगा.
त्रयोदशी के दिन करें ये उपाय (Trayodashi Vrat August 2022)
भगवान शिव को त्रयोदशी की तिथि अति प्रिय है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जल चढ़ाने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं. जिन लोगों के जीवन में यदि कोई कष्ट बना हुआ है, वे आज के दिन भगवान शिव पर जल अवश्य चढ़ाएं. और इस मंत्र का एक माला जाप करें-
ओम नमः शिवाय (Om Namah Shivay)
मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.