केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने जबरन छंटनी को लेकर एमेजॉन इंडिया को तलब किया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कंपनी को बेंगलुरु में उप मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष पेश होने के लिए कहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि एमेजॉन से अनुरोध है कि इस मामले में सभी जुड़े हुए रिकॉर्ड के साथ या तो व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से इस कार्यालय में उपस्थित हों।
ये फैसला NITES की दायर शिकायत के बाद आया है, जिसमें उसने एमेजॉन पर श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे एक पत्र में, NITES ने दावा किया कि Amazon के कर्मचारियों को कंपनी से जबरदस्ती हटा दिया गया था। NITES ने दावा किया कि इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की आजीविका दांव पर लग गई है।
उद्योग विवाद अधिनियम के तहत, यह तर्क दिया गया कि सरकार से अनुमति लिए बिना, एक नियोक्ता इस तरह से छंटनी नहीं कर सकता है।
NITES के अध्यक्ष हरप्रीत सलूजा ने मीडिया से कहा कि यूनियन कर्मचारियों के लिए न्याय की उम्मीद कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, एमेजॉन अब तक 10,000 लोगों की छंटनी की है और ये प्रक्रिया 2023 तक जारी रह सकती है।