इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली पत्नी के जीवित रहते सरकारी कर्मचारी द्वारा दूसरी शादी करने के मामले में सख्त फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नियम 29 के तहत सरकार की अनुमति लिए बगैर दूसरी शादी करने के आरोपी को दंडित करने के राज्य लोक सेवा अधिकरण के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 के अंतर्गत अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग की निश्चित सीमा है। साक्ष्यों व तथ्यों से याची के खिलाफ नियमावली का उल्लघंन करने व विभाग को गुमराह करने का आरोप साबित किया गया है। आरोपी दूसरी शादी के लिए दंड पाने का हकदार हैं। कोर्ट ने पेंशन जब्त करने के विभागीय आदेश व अधिकरण द्वारा केस खारिज करने के आदेश को उचित ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी। दूसरी शादी करने के मामले में यह आदेश जस्टिस एस पी केसरवानी और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने सहारनपुर के मनवीर सिंह की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि गलत बयानी का इतना कठोर दंड नहीं दिया जाना चाहिए। गलतफहमी के कारण याची ने शुरू में गलत तथ्य दिए किन्तु बाद में सही तथ्य की जानकारी दी है। जबकि कोर्ट को मानना है कि गुमराह किया गया है।
पत्नी की शिकायत फिर समझौता
गौरतलब है कि 5 सितंबर को याची सहायक अभियोजक नियुक्त किया गया। पदोन्नति पाते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक पद से 31 दिसंबर 2004 को सेवा निवृत्त हो गया। इसके बाद 28 जून 05 को दंडित किया गया है। अधिकरण ने 2 सितंबर 2021 को केस खारिज कर दिया। इससे पहले उसकी पहली पत्नी राजेंद्री देवी ने दो शिकायतें कीं थी। बाद में समझौते के कारण विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दी गई।
दूसरी पत्नी को लेकर बोला था झूठ
याची ने कोर्ट में कहा उसे बच्चे नहीं हैं। 13 जुलाई 2097 को अर्जी दी कि उसके दो बच्चे हैं और वह नसबंदी कराना चाहता है। जिसकी जांच बैठाई गई और याची को अपनी पत्नी को पेश करने को कहा गया। याची ने कहा कि राजेंद्री देवी व रजनी देवी एक ही हैं दो औरतें नहीं है। किन्तु उसने पत्नी को पेश नहीं किया। जांच अधिकारी ने स्वयं जाकर राजेंद्री देवी का बयान लिया। राजेंद्री देवी ने बताया की दोनों अलग हैं। उससे बच्चे पैदा नहीं हुए तो दूसरी शादी की। जिससे दो बच्चे एक लड़की, दूसरा लड़का है। राजेंद्री गाजियाबाद तो रजनी बुलंदशहर की है।
शादी को लेकर बोला था झूठ
याची ने बयान बदला और कहा कि उसने दूसरी शादी नहीं की। वह वैध शादी नहीं है। इसलिए नियम 29 उसके मामले में लागू नहीं होता है। अधिकरण ने कहा दूसरी पत्नी से दो बच्चे हैं। नगर निगम के दस्तावेज से स्पष्ट है कि याची व रजनी पति पत्नी हैं। ऐसे में बिना विभागीय अनुमति लिए दूसरी शादी की। विभाग को गुमराह किया गया है। दूसरी शादी बिना सूचना दिये की गयी है जिसका परिणाम भी भुगतना होगा। हाईकोर्ट ने भी हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।