अफगानिस्तान (Afghanistan) का हेरात प्रांत (Herat Province) एक कार धमाके से हिल उठा. इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई और 47 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. अधिकारियों ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. प्रांतीय अस्पताल के प्रवक्ता रफीक शेराजी ने कहा कि शुक्रवार देर रात हुए इस धमाके में 14 घर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. वहीं, घायल लोगों में से कुछ की हालत गंभीर है, ऐसे में मृतकों की संख्या के बढ़ने की संभावना है.
देश के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन (Tariq Arian) ने कहा कि मरने वालों में एक और घायलो में 11 अफगान सुरक्षा बल के जवान थे, जबकि बाकी लोग आम नागरिक थे. हताहतों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. हालांकि, अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है. लेकिन हाल के दिनों में कई घटनाओं के चरमपंथी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (Islamic State) के अंजाम देने के चलते इस बार भी शक की सुईयां उसी की ओर हैं.
सुरक्षा परिषद ने हमले की निंदा की
इस आतंकी हमले के कुछ घंटे बाद ही न्यूयॉर्क में एक प्रेस ब्रीफिंग में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में हमलों में हो रही खतरनाक वृद्धि की निंदा की. ये हमले ऐसे वक्त में हो रहे हैं, जब तालिबान (Taliban) और अफगान सरकार के बीच कतर (Qatar) में वार्ता हो रही है और फिर रुक जा रही है. परिषद ने कहा, इन जघन्य हमलों ने सिविल सेवकों, न्यायपालिका, मीडिया, स्वास्थ्य देखभाल और मानवीय कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे लोगों पर हमले हो रहे हैं, जो मानव अधिकारों और जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं.
तालिबान संग हुए शांति समझौते की समीक्षा कर रहा है अमेरिका
हाल के दिनों में हुए कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है. वहीं, तालिबान और अफगान सरकार ने बातचीत की राह में रोड़ा खड़ा करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं. वार्ता की धीमी गति और बढ़ती हिंसा ने अमेरिका को शांति प्रस्ताव के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया है. बता दें कि इन सब के बीच अमेरिकी प्रशासन ट्रंप सरकार के कार्यकाल के दौरान तालिबान संग किए गए शांति समझौते की समीक्षा कर रहा है. इसके तहत अमेरिका को एक मई तक अपने 2500 सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना है.