करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के प्रमुख रहे जनरल वीपी मलिक ने अग्निपथ योजना का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने इस योजना का विरोध करने वालों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि गुंडागर्दी में शामिल लोगों को सेना भर्ती नहीं करना चाहती। देश के कई हिस्सों में सेना भर्ती की इस कम अवधि की नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें सामने आई थी।
एनडीटीवी से बातचीत में जनरल मलिक ने कहा, ‘हमें यह समझना होगा कि सशस्त्र बल वॉलिंटियर फोर्स है। यह कोई कल्याणकारी संगठन नहीं है और इसमें सबसे अच्छे लोगों का होना जरूरी है, जो देश के लिए लड़ सकें, जो देश की रक्षा कर सके।’ उन्होंने कहा, ‘उन लोगों को हम सेना में नहीं चाहते, जो लोग गुंडागर्दी, बस और ट्रेन जलाने में शामिल हैं।’
हालांकि, इस दौरान उन्होंने इस बात में सहमति जताई कि कुछ लोग हैं, जो ‘जब हमने भर्ती प्रक्रिया बंद की थी, तो वे अपना टेस्ट पूरा नहीं कर सके थे।’ उन्होंने कहा, ‘इनमें से कुछ लोग उम्र की सीमा पार कर गए होंगे। वे अग्निपथ योजना के लिए पात्र नहीं होंगे। ऐसे में उनकी परेशानी को मैं समझता हूं।’
जनरल मलिक ने इस बात के संकेत दिए हैं कि उम्मीदवारों को नौकरी को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि सरकार ने पुलिस औऱ अर्धसैनिक बलों में लेटरल एंट्री का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में भर्ती की जाएगी, हालांकि नौकरी की गारंटी अभी नहीं है।
पूर्व सेना प्रमुख से सवाल किया गया कि सेना में प्रशिक्षण लेने वालों के चार साल के बाद बाहर जाने से परेशानी होगी या नहीं। इसपर उन्होंने कहा कि ‘बेहतर शिक्षित और टेक सेवी’ को भर्ती करने पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘ITI और अन्य तकनीकी संस्थानों से लोगों को लाने का प्रयास है। उन्हें बोनस पॉइंट्स दिए जाएंगे और वे इस तरह के लोग हैं, जैसे हमें सशस्त्र बलों में चाहिए।’
उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों को विस्तार दिया जाएगा। जनरल मलिक ने कहा, ‘योजना को शुरू होने दें। एक बार हमें पता लग जाएगा कि खामियां कहा हैं, इनमें सुधार किया जा सकता है।’