समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर सोमवार को तीखा हमला किया और इसे “झूठी योजना” करार दिया, जो अपनी शुरुआत के एक दशक बाद भी ठोस आर्थिक या सामाजिक प्रभाव डालने में विफल रही है।

सपा अध्यक्ष ने लखनऊ में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, “भाजपा नेता अपनी योजनाओं का प्रचार करते नहीं थकते। आज एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है – मुद्रा योजना के 10 साल। लेकिन एक दशक बीत जाने के बावजूद, इसने समाज या अर्थव्यवस्था पर कोई ठोस प्रभाव नहीं छोड़ा है। यह एक ‘झूठी योजना’ बन गई है – झूठे वादों की योजना।”
अखिलेश यादव ने इस योजना को लेकर कई सवाल उठाए, जो छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को ‘‘माइक्रो-फाइनेंस’’ प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “जनता और हमें भी यह पूछने का अधिकार है, अगर 52 करोड़ लोगों को वास्तव में मुद्रा लोन मिला है और अगर प्रति लोन दो नौकरियां भी पैदा हुई हैं, तो देश में बेरोजगारी लगभग शून्य होनी चाहिए।”
उन्होंने समय-समय पर सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की सत्यता पर सवाल उठाया और कार्यप्रणाली और आंकड़ों में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “डेटा हेरफेर में कोई भी भाजपा को नहीं हरा सकता। लेकिन ये आंकड़े कहां से आते हैं? कार्यप्रणाली क्या है? कोई स्पष्टता नहीं है।” अखिलेश यादव ने सवाल किया कि योजना के तहत अब तक वितरित 35 लाख करोड़ रुपये का कोई ऑडिट हुआ है या नहीं।
उन्होंने पूछा, “क्या कभी कोई ऑडिट किया गया? क्या इनमें से किसी उद्यम ने वास्तव में लाभ कमाया या आयकर का भुगतान किया? यदि हां, तो कितना?” उन्होंने मुद्रा लोन प्राप्तकर्ताओं के बीच जीएसटी अनुपालन के बारे में भी चिंता जताई। “अगर 52 करोड़ लोगों को लोन दिया गया, तो क्या उन्होंने जीएसटी के लिए पंजीकरण कराया? सरकार ने उनसे कितना जीएसटी वसूला है?” अखिलेश यादव ने आरोप लगाया, “यह योजना बैंकों से चुनिंदा लोगों को पैसे ट्रांसफर करने का जरिया बन गई है।’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देकर अपनी नीतिगत विफलताओं से ध्यान भटकाती है। अखिलेश यादव ने दावा किया, “अपनी योजनाओं की विफलता को छिपाने के लिए भाजपा संविधान को कमजोर कर रही है, लोकतंत्र और कानून के शासन की अवहेलना कर रही है।” मुद्रा ऋण के आवंटन पर कटाक्ष करते हुए सपा नेता ने सवाल किया कि क्या यह धन वास्तव में छोटे उद्यमियों तक पहुंचा या बड़े उद्योगपतियों के पास चला गया।
उन्होंने पूछा, “अगर देश में 35 लाख करोड़ रुपये आए और सबसे बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में, जहां एमएसएमई सबसे ज्यादा संख्या में हैं, तो इसने हमारी अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा क्यों नहीं दिया?” शेयर बाजार में गिरावट पर टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा कि यह जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “सरकार को अमेरिका जैसी पहल करनी चाहिए और चीन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।”