अमेरिका (America) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Former President Donald Trump) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। न्यूयॉर्क की अदालत (New York Court) ने धोखाधड़ी के एक मामले (Civil Fraud case) में ट्रंप को सजा सुनाई है। अदालत ने उन्हें आदेश देते हुए कहा कि वे 355 मिलियन अमेरिकी डॉलर (Fine of US$ 355 million) (भारतीय मुद्रा में करीब 29.46 अरब रुपये) (about Rs 29.46 billion in Indian currency) का जुर्माना चुकाएं। अदालत ने ट्रंप के साथ-साथ उनके बेटों को भी सजा सुनाई है और उन पर भी जुर्माना लगाया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इतने बड़े जुर्माने के कारण ट्रंप की वित्तीय स्थिति पर फर्क पड़ सकता है।
दोनों बेटों को भी सुनाई सजा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिविल धोखाधड़ी मामले में अदालत ने ट्रंप के खिलाफ 90 पन्नों का फैसला सुनाया है। फैसले के अनुसार, अदालत ने ट्रंप को न्यूयॉर्क में स्थित कंपनी में निदेशक के रूप में काम करने पर रोक लगाई है। वे तीन साल तक कंपनी के निदेशक के रूप में काम नहीं कर सकते। ट्रंप के साथ-साथ कोर्ट ने उनके दोनों बेटों को भी सजा सुनाई है। अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर और एरिक ट्रंप को चार-चार मिलियन अमेरिकी डॉलर का अर्थदंड सुनाया है। साथ ही ट्रंप के दोनों बेटे भी दो साल तक न्यूयॉर्क वाली कंपनी में निदेशक के रूप में काम नहीं कर सकते हैं। बता दें, ट्रंप और उनके बेटों को अपनी संपत्ति में भारी वृद्धि का उत्तरदायी पाया गया था।
गौरतलब है कि, ट्रंप और उनके बेटे किसी भी गलत काम में शामिल होने से पहले ही इनकार कर चुके हैं। ट्रंप का आरोप है कि मेरे साथ धोखाधड़ी हो रही है।
दो महीने चली थी सुनवाई
अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि वह डोनाल्ड ट्रंप को 370 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने के लिए कहें। हालांकि, अदालत ने ट्रंप को 354.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अर्थदंड सुनाई। बता दें, मामले की सुनवाई दो महीने से अधिक समय तक चली थी, जिसमें ट्रंप, ट्रंप की कंपनी के शीर्ष अधिकारी और ट्रंप के बच्चों सहित 40 गवाहों की कोर्ट में पेशी हुई थी।
ट्रंप की वकील ने फैसले को बताया राजनीति से प्रेरित
कोर्ट ने इससे पहले, कंपनी के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी एलन वीसेलबर्ग को भी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया था। उन पर भी कंपनी में काम करने के लिए तीन साल के लिए प्रतिबंधित लगाया है। ट्रंप की वकील की मानें तो अलीना हब्बा ने इस फैसले अन्याय बताया है। उनका कहना है कि यह आदेश राजनीति से प्रेरित है। आदेश ट्रंप को नीचे गिराने की कोशिश के लिए बनाया गया है।