पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ (Tehreek-e-Insaf-PTI) के अध्यक्ष इमरान खान (Imran Khan) ने शनिवार को बड़ा ऐलान किया है। हमले के बाद पहली बार रावलपिंडी में सार्वजनिक सभा (Rawalpindi public meeting) को संबोधित करते हुए इमरान खान ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी सभी विधानसभाओं से इस्तीफा (Resignation from all assemblies) देना का फैसला किया है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के हवाले से आई जानकारी के मुताबिक, रावलपिंडी में रैली को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उनका मौत के साथ करीबी सामना हुआ था और उन्होंने अपने ऊपर हमले के दौरान गोलियों को सिर के ऊपर से गुजरते हुए देखा था। रावलपिंडी में ही सेना का भी मुख्यालय है। हमले की घटना के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने पहले संबोधन में खान ने आरोप लगाया कि ‘तीन अपराधी’ फिर से उन पर हमला करने की ताक में हैं।
जीना चाहते हैं तो मौत के डर से बेखौफ हो जाएं
इमरान खान (70) ने बार-बार आरोप लगाया है कि उन पर हमले के पीछे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और खुफिया एजेंसी आईएसआई के ‘काउंटर इंटेलिजेंस विंग’ के प्रमुख मेजर-जनरल फैसल नसीर थे। खान ने अपने समर्थकों से आह्वान किया कि अगर वे आजादी से जीना चाहते हैं तो मौत के डर से बेखौफ हो जाएं।
उन्होंने कर्बला की लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा ‘डर पूरे देश को गुलाम बना देता है।’ कर्बला में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने अपने समय के अत्याचारी शासक के खिलाफ आवाज उठाई थी।
पाकिस्तान एक निर्णायक चौराहे पर खड़ा है
खान ने कहा कि वह इसलिए आगे बढ़े क्योंकि उन्होंने मौत को करीब से देखा था। उन्होंने कहा, ‘यदि आप जीना चाहते हैं, तो मौत का खौफ छोड़ दें।’ खान ने कहा कि राष्ट्र एक निर्णायक बिंदु और चौराहे पर खड़ा है, जिसके सामने दो रास्ते हैं- एक रास्ता दुआओं और महानता का है जबकि दूसरा रास्ता अपमान और विनाश का है। वह देश में जल्द आम चुनाव की मांग करते हुए ‘लॉन्ग मार्च’ का नेतृत्व कर रहे हैं।