जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में विधानसभा (विस) के गठन (formation of Assembly) के बाद भी उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) को अहम विभागों में अंतिम निर्णय (Final decision in important departments) लेने के आदेश का विपक्ष (Opposition) ने विरोध किया है। उसका कहना है कि जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में यह लोकतंत्र की हत्या की तरह है। जनता के चुने हुए नुमाइंदों को विस में बिठाकर भी उन्हें अधिकारों से वंचित रखा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने जम्मू कश्मीर संघ राज्यक्षेत्र सरकार, कार्य संचालन नियम, 2019 में संशोधन करके उपरोक्त अधिकार व शक्तियां उप राज्यपाल को प्रदान की हैं।
इस आदेश के तहत उप राज्यपाल के पास ही पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो से संबंधित अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रहेगा। प्रशासनिक सचिवों की नियुक्ति और स्थानांतरण पर भी उप राज्यपाल की सहमति आवश्यक होगी। प्रशासनिक सचिवों, अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की नियुक्तियों व स्थानांतरण और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के संवर्ग पदों से संबंधित विषयों के संबंध में सभी प्रस्ताव महा प्रशासनिक विभाग के प्रशासनिक सचिव को मुख्य सचिव के माध्यम से उप राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे। ऐसे किसी प्रस्ताव पर तब तक सहमति नहीं दी जाएगी या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसे मुख्य सचिव के माध्यम से उप राज्यपाल के समक्ष नहीं रखा गया है। एक मानकर यह भी कहा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर में दिल्ली जैसी प्रशासनिक व्यवस्था हो जाएगी।
जम्मू-कश्मीर को निगम में तब्दील कर रही भाजपा : महबूबा
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उपराज्यपाल को अतिरिक्त शक्तियां देने के आदेश से पहली बार जम्मू कश्मीर में देश की सबसे ताकतवर विधानसभा को कमजोर किया जा रहा है। इस राज्य को निगम की तरह तबदील किया जा रहा है। अनुच्छेद 370 से पहले ही जम्मू कश्मीर से सभी अधिकार छीन लिए गए हैं। जम्मू कश्मीर में भाजपा कभी सरकार नहीं बना सकती और जो सरकार आएगी भी उसके पास अपने कर्मचारियों, अधिकारियों की नियुक्तियों और स्थानांतरण के अधिकार नहीं होंगे। मुख्य सचिव और उप राज्यपाल के पास ही सभी अहम अधिकार होंगे, जबकि लगभग उप राज्यपाल बाहर से होंगे। जम्मू कश्मीर को एक लेबोरेटरी की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां भाजपा सरकार नहीं बना पा रही है वहां ऐसी मनमानी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। 2019 में भी यहां तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया था। दिल्ली में केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद भी उन्हें जेल में रखा गया है। संविधान को तोड़ मरोड़ कर भाजपा सभी हथकंडे अपनाने से पीछे नहीं रह रही है। मैं विपक्ष से अपील करती हूं कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप न रहें। कल यह पंजाब, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य हिस्सों में हो सकता है।
मुख्यमंत्री रबर स्टैंप की तरह होगा : रवींद्र
कांग्रेस के प्रवक्ता रवींद्र शर्मा का कहना है कि विधानसभा चुनाव होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं क्योंकि उप राज्यपाल को सभी शक्तियां दे दी हैं, मुख्यमंत्री रबर स्टैंप की तरह होंगे। सभी प्रशासनिक शक्तियां उप राज्यपाल को दे दी गई हैं, चुनी हुई सरकार से मजाक और खिलवाड़, लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल नहीं करेंगे। चुने हुए नुमाइंदों के पास शक्तियां नहीं होंगी। गवर्नर रूल का दूसरा रूप है। दिखावे के मंत्री होंगे और विधायक होंगे। यह संविधान के खिलाफ है।
यह सांविधानिक प्रक्रिया, सभी यूटी में पहले से लागू : रवींद्र
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना का कहना है कि यह सांविधानिक प्रक्रिया है। चूंकि संसद में बिल पास होकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख यूटी बनाए गए थे। केंद्र शासित प्रदेश के नियम पूरे देश में एक साथ होंगे। जैसे दिल्ली, पुडुचेरी या अन्य जगह है।
एक चपरासी लगाने के लिए एलजी से मांगनी होगी भीख : उमर
नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैंप की तरह हो गए हैं। अब उनकी चुनी हुई सरकार को एक चपरासी लगाने के लिए भी एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी। केंद्र का नया आदेश यह भी संकेत है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं, लेकिन उनकी विधानसभा में अब वे अधिकार नहीं होंगे जो चुने हुए जन प्रतिनिधियों को दिए जाते हैं।
जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए सभी क्षेत्रीय दल आगे आएं : अल्ताफ
जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सभी क्षेत्रीय दलों से इस कदम के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक साथ आगे आने की अपील की है। हम सबको जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना होगा। हमारी पार्टी इसके लिए पहल करेगी।