विपक्षी नेताओं (opposition leaders) के एक गुट का दावा है कि इंडिया गठबंधन (india alliance) की मंगलवार को हुई बैठक में वे इस बात पर सहमत हो गए हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) के लिए सीट-बंटवारे की चर्चा 31 दिसंबर से पहले समाप्त हो जानी चाहिए। वहीं, एक दूसरे गुट का कहना है कि यह वार्ता जनवरी के मध्य तक पूरी हो जाएगी। हालांकि, गठबंधन का एक बड़ा वर्ग जल्द ही सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने को लेकर संशय में है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में, जहां देश में सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटें हैं।
यूपी में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के बीच सीटों का बंटवारा होना है। सपा सबसे प्रमुख खिलाड़ी है। मंगलवार की बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी मौजूद थे।
पिछले कई महीनों से यूपी में कांग्रेस, सपा और आरएलडी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। कांग्रेस ने हाल के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में उसके साथ सीटें साझा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सपा ने नाराजगी व्यक्त की थी। उसने चेतावनी दी थी कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को यूपी में जैसे को तैसा वाला व्यवहार का सामना करना पड़ेगा। आरएलडी तब भी नाखुश थी जब उसे राजस्थान चुनाव में कांग्रेस द्वारा सिर्फ एक सीट दी गई थी। यह और बात है कि दोनों राज्यों में कांग्रेस को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। इस साल की शुरुआत में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर सपा और आरएलडी के बीच भी कुछ तनाव हुआ था। आरएलडी ने तब एसपी पर धमकाने और पर्याप्त सीटें न देने का आरोप लगाया था।
अजय राय की अध्यक्षता वाली यूपी कांग्रेस पार्टी के पुनरुद्धार के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन लड़ाई अभी भी मुख्य रूप से भाजपा और राज्य में प्रमुख विपक्षी सपा के बीच है। यूपी के कई कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पार्टी 20-25 सीटों पर अपना दावा करेगी। उन्होंने कहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उसने 21 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”हम कम से कम उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेंगे जो हमने 2009 में जीती थीं। और हमें उम्मीद है कि कम से कम वे सीटें हमें मिलेंगी। हाल ही में एक बैठक के दौरान भी यह निर्णय लिया गया कि हमें राज्य में कम से कम 20 सीटें मिलनी चाहिए।”
अजय राय ने यह बताने से परहेज किया कि पार्टी कितनी सीटें चाहेगी। उन्होंने कहा, ”हम सभी 80 सीटों पर अपना संगठन तैयार कर रहे हैं। क्योंकि अगर हम अपने सहयोगी दल को एक सीट दे भी दें तो भी हमें वहां एक मजबूत संगठन की जरूरत होगी। सीट बंटवारे का फैसला पार्टी का दिल्ली नेतृत्व करेगा।”
सपा लोकसभा चुनावों में 50-60 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “अंतिम फैसला हमारे नेता अखिलेश यादव करेंगे, लेकिन हम राज्य में कम से कम 50 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
यूपी को लेकर इंडिया गठबंधन की किसी भी पार्टी ने अब तक आधिकारिक तौर पर यह टिप्पणी नहीं की है कि वह तीनों सहयोगियों के बीच कितनी सीटें सुरक्षित करना चाहती है। एसपी प्रवक्ता और पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह ने कहा, “हम सहयोगियों के साथ बैठक करेंगे और उसके अनुसार निर्णय लेंगे। हम जीत की संभावना के आधार पर अपने सहयोगियों को सीटें देंगे।”
जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली आरएलडी पश्चिमी यूपी में लगभग 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जहां उसका जाटों और गुर्जरों के बीच समर्थन आधार है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप उज्ज्वल ने कहा, ”गठबंधन को बरकरार रखने के लिए हम सभी को बड़ा दिल दिखाना होगा। इसके लिए हमारे सहयोगियों को मिलनसार होना होगा।” उन्होंने यह भी कहा, “इंडिया गठबंधन मजबूत लड़ाई लड़ेगा और आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा होगी।”