नैनीताल हाईकोर्ट में आज पंतनगर में नए एयरपोर्ट के लिए कृषि विश्वविद्यालय की 1072 एकड़ भूमि को अधिग्रहीत करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, पंतनगर विश्वविद्यालय और उड्डयन मंत्रालय को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तिथि नियत की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। ऊधमसिंह नगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता केशव सिंह पासी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के दक्षिण की ओर एक नया एयरपोर्ट बनाया जाना प्रस्तावित है।
इसके लिए पंतनगर विश्वविद्यालय की 1072 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। राज्य बनने के बाद अब तक पंतनगर विश्वविद्यालय की करीब 4300 एकड़ भूमि गैर कृषि कार्यों के लिए अधिग्रहीत की जा चुकी है।
इसके चलते हरित क्रांति के जनक पंतनगर विश्वविद्यालय की अस्मिता और अस्तित्व खतरे में आ गया है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में उत्तर की ओर पहले से ही एयरपोर्ट है। एक तरफ सिडकुल है और अब दक्षिण की ओर एक और एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, जिससे पंतनगर विश्वविद्यालय के चारों ओर शोरगुल होगा और इसके साथ ही प्रदूषण भी फैलेगा। इससे इस विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल और शोध कार्य प्रभावित होंगे।
याचिका में कहा गया है कि पंतनगर विश्वविद्यालय देश में 25 फीसदी कृषि बीजों की जरूरत पूरी करता है। इस अत्यंत उपजाऊ भूमि को गैर कृषि कार्य के लिए नहीं दिया जा सकता। दूसरी ओर राजस्व परिषद ने अपने एक सर्वे में माना है कि नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में 76842 एकड़ भूमि बंजर पड़ी है।
इसलिए उपजाऊ भूमि को एयरपोर्ट निर्माण के लिए दिए जाने की बजाय बंजर भूमि को एयरपोर्ट के निर्माण में प्रयोग किया जाए। इसके अलावा जिस जगह एयरपोर्ट निर्माण प्रस्तावित है उसके आसपास 11 नहरें हैं और यह भूमि दलदली है। यह भूमि एयरपोर्ट के लिये उपयुक्त नहीं है साथ ही इस स्थान के समीप से दो हाईटेंशन विद्युत लाइनें भी गुजर रही हैं।