हिंदू धर्म में आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा या फिर कहें विजयादशमी पर्व मनाया जाता है. दशहरे को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसी दिन अयोध्या के राजा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने दशानन या फिर कहें लंकापति रावण से युद्ध करते हुए उसका वध किया था, लेकिन क्या आपको पता है कि इससे पहले कई और लोगों के साथ युद्ध करते हुए भी रावण की हार हुई थी. यदि नहीं तो आइए रामकथा के प्रमुख पात्रों में से एक रावण के जीवन से जुड़ा ये राज विस्तार से जानते हैं.
1. महादेव से हारा था महाबली रावण
लंका के राजा रावण के बारे में मान्यता है कि वह भगवान शिव का परम भक्त था और उसने महादेव से मनचाहा वरदान पाने के लिए कई बार कठिन तपस्या की थी. मान्यता है कि एक बार रावण भगवान शिव की तपस्या कर रहा था और जब शिव प्रकट नहीं हुए तो उसने गुस्से में आकर कैलाश पर्व को उठाने चला. जैसे महादेव को इस का अहसास हुआ उन्होंने अपने पैर के अंगूठे से उसे कैलाश पर्वत का वजह दोगुना कर दिया. जिसके बाद थक हार कर रावण ने अपनी हार मानकर भगवान शिव से क्षमा मांगी.
2. तब राजा बलि ने तोड़ा रावण का अहंकार
मान्यता है कि एक बार रावण पाताल लोक के राजा बलि से युद्ध करने पहुंच गया था. जिस समय रावण पाताल लोक पहुंचा, उस सयम राजा बलि अपने बच्चों के साथ खेलने में व्यस्त थे. मान्यता है कि रावण के कुछ कर पाने से पहले राजा बलि ने उसे अस्तबल में घोड़ों के साथ बांध उसके अभिमान को तोड़ दिया था.
3. सहस्त्रबाहु ने सिखाया था सबक
मान्यता है कि एक बार रावण का युद्ध सहस्त्रबाहु से हुआ तब हुआ था जब उसने अपने अपनी रानियों को खुश करने के लिए नर्मदा नदी के प्रवाह को रोक दिया था. मान्यता है कि जब उसने ऐसा किया तो दूसरी ओर पूजा कर रहे रावण को नदी का प्रवाह रुक जाने से क्रोध आ गया और वह सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया. जिस पर सहस्त्रबाहु ने नदी के प्रवाह को छोड़ दिया जिससे उसकी सेना बह गई और इसके बाद सहस्त्रबाहु ने रावण को बंदी बना लिया था.
4. बाली के आगे न चला रावण का बल
मान्यता है कि वानरों के राजा बाली को वरदान मिला हुआ था कि जो कोई उससे युद्ध करने की कोशिश करेगा, आधाी शक्ति क्षीण हो जाएगी. मान्यता है कि एक बार रावण बाली से युद्ध करने तब पहुंच गया जब वह पूजा कर रहा था. पूजा में विघ्न पड़ने के बाद बाली को गुस्सा आ गया और उसने रावण को बाजुओं में दबा लिया और समुद्र के चारों ओर परिक्रमा लगाने लगा. इसके बाद रावण के माफी मांगने बाली ने उसे छोड़ दिया. मान्यता है कि इस घटना के बाद रावण ने बाली से मित्रता कर ली थी.