चीन में सख्त नियमों के बावजूद कोरोना कंट्रोल नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने मंगलवार को कहा कि चीन ने सोमवार को 3,297 स्थानीय रूप से फैले कोविड-19 मामलों की सूचना दी। कोरोना कंट्रोल के नाम पर शहरों में जारी लॉकडाउन ने जिनपिंग सरकार के प्रति लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि शहरों में लॉकडाउन चीन के राष्ट्रीय संकट की ओर इशारा कर रहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इन नए स्थानीय रूप से फैले कोरोना मामलों में सबसे ज्यादा चीन के आर्थिक केंद्र शंघाई से हैं जहां 3,084 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा 17,332 स्थानीय रूप से फैले गैर लक्षण वाले मामले भी दर्ज किए गए हैं। शंघाई में सोमवार को COVID-19 से सात नई मौतें हुईं।
शंघाई के अलावा, अब कोरोना चीन के दूसरे प्रांतों में भी फैलने लगा है। 18 अन्य प्रांतीय स्तर के क्षेत्रों में नए स्थानीय कोविड-19 मामले देखे गए, जिनमें जिलिन के पूर्वोत्तर प्रांत में 88 शामिल हैं। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को चीन की मुख्य भूमि पर ठीक होने के बाद कुल 1,912 कोविड-19 रोगियों को अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई।
पूरे चीन में लॉकडाउन जैसे हालात हैं। कई शहर अपने निवासियों को घरों में कैद होने के लिए मजबूर कर रहे हैं, सप्लाई लाइनें टूट रही हैं, और अधिकारी बुनियादी सामानों की आवाजाही को सुरक्षित करने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। COVID-19 ने चीन के हालात ऐसे बना दिए हैं कि लोग अब खुलकर जिनपिंग सरकार का विरोध कर रहे हैं। पिछले दिनों कई ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें लोग प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते नजर आ रहे हैं।
आर्थिक केंद्र शंघाई में हालात बेहद खराब
इस बीच, शंघाई में कई दिनों से लोगों को लॉकडाउन समेत अन्य कोविड-19 संबंधी पाबंदियों का कड़ाई से पालन करना पड़ रहा है। शंघाई में तीन बार व्यापक स्तर पर लोगों की जांच की जा चुकी है।
सामुदायिक स्तर पर बनाए गए पृथकवास केंद्रों में रह रहे लोगों को भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। बेबेई (30) नामक एक महिला ने अपने अनुभवों के बारे में बताया कि उन्हें एक ऊंची छत वाले केंद्र में रखा गया है जहां चारपाइयों की कतारें हैं और हज़ारों अजनबियों की मौजूदगी में उन्हें एक ही छत के नीचे सोना पड़ता है। बेबेई का कहना है कि लाइटें 24 घंटे जली रहती हैं और नहाने के लिए गर्म पानी भी बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हो पाता है। बेबेई का कहना है कि पृथकवास केंद्र में साफ-सफाई का स्तर भी बहुत खराब है और अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है।
निवेश बैंक नोमुरा और सीएनएन की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 44 चीनी शहर या तो पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन में हैं। देश के ताजा कोविड प्रकोप का केंद्र अति-आधुनिक वित्तीय राजधानी शंघाई में 25 मिलियन लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी बसर करना अब संघर्ष का हिस्सा बन गया है। यहां के निवासी अपने अपार्टमेंट या घरों में कैद हैं, वे भोजन और आजादी के लिए बेताब हैं।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीनी नेता शी जिनपिंग की जीरो कोविड नीति के खिलाफ वर्तमान स्थिति देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है। देश भर में सप्लाई प्राप्त करना एक कठिन चुनौती बन गई है, कुछ एक्सप्रेसवे बंद हो गए हैं, और ट्रक चालक क्वरंटाइन में हैं या हजारों राजमार्ग स्वास्थ्य चौकियों पर फंस गए हैं।
चीनी सरकार के खिलाफ बढ़ रहा लोगों का गुस्सा
चीनी की नीतियों के खिलाफ लोगों में कई नेताओं के खिलाफ गुस्सा है। चीन में तेजी से बिगड़ता आर्थिक दृष्टिकोण भी चिंता का कारण बन रहा है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 4.8 प्रतिशत रही। कोरोना वायरस महामारी के चलते शंघाई सहित प्रमुख औद्योगिक शहरों में लॉकडाउन के चलते वृद्धि आंकड़ों में कमजोरी देखी गई। चीन की सरकार ने चालू वर्ष के दौरान 5.5 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य तय किया है।
चीन एक बिगड़ते कोविड प्रकोप को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह संकट जिनपिंग सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा में से एक बन गया है। जिनपिंग इस साल के अंत में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के दौरान तीसरे पांच साल के कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं।