Breaking News

नार्थ कोरिया के मिसाइल परीक्षण पर प्रतिक्रिया देने को तैयार है अमेरिका और साउथ कोरिया

उत्तर कोरिया ( North Korea) के लिए अमेरिका (America) के विशेष राजदूत ने सोमवार को कहा कि प्योग्यांग द्वारा हाल में किये गए मिसाइल परीक्षण (missile test) पर कड़ी प्रतिक्रिया देने पर वाशिंगटन (Washington) और दक्षिण कोरिया ( South Korea) सहमत हैं हालांकि बातचीत का रास्ता अब भी खुला है. उत्तर कोरिया द्वारा एक नए प्रकार के मिसाइल का परीक्षण करने के दो दिन बाद सुंग किम (sung kim) दक्षिण कोरिया की यात्रा पर हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया अपने हथियारों के जखीरे को बढ़ाना चाहता है और अपने विरोधियों की ओर से प्रतिबंधों में ढील पाने की इच्छा रखता है.

उत्तर कोरिया ने मिसाइल के रूप में इस साल अपना 13वां हथियार परीक्षण किया. इसमें अमेरिका की मुख्य भूभाग और दक्षिण कोरिया तथा जापान तक पहुंचने वाली नाभिकीय अस्त्र ले जाने में सक्षम मिसाइलें शामिल थीं. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि उत्तर कोरिया शीघ्र ही परमाणु परीक्षण कर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।

किम ने अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष के साथ बैठक करने के बाद कहा, ‘उत्तर कोरिया के अस्थिर करने वाले व्यवहार पर कड़ी प्रतिक्रिया देने पर हम सहमत हैं. प्रायद्वीप में एक मजबूत संयुक्त प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रखने पर भी हमने सहमति जताई.’ दक्षिण कोरियाई राजनयिक नोह क्यू-दुक ने कहा कि उन्होंने और किम ने चिंता जताई कि उत्तर कोरिया तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई कर सकता है. नोह ने उत्तर कोरिया को बातचीत के रास्ते पर वापस लाने का आग्रह किया।

मार्च में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने नई मिसाइल का एक प्रोमो वीडियो जारी किया था. इस वीडियो के जरिए उत्तर कोरिया ने पूरी दुनिया के अपने सबसे आधुनिक और लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षण का फुटेज सामने रखा है. उत्तर कोरिया ने अपने नेता किम जोंग-उन के आदेशानुसार अपनी सबसे बड़ी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किए जाने की पुष्टि की है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ ‘लंबे समय से जारी टकराव’ के मद्देनजर तैयारी करते हुए उत्तर कोरिया अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहा है. उत्तर कोरिया की आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने बताया कि ह्वासोंग-17 (आईसीबीएम) 6,248 किलोमीटर (3,880 मील) की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंची और उत्तर कोरिया तथा जापान के बीच समुद्र में गिरने से पहले उसने 67 मिनट में 1,090 किलोमीटर (680 मील) का सफर तय किया।