उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने गुरुवार को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनकी सरकार में राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST Students Scholarship) के बच्चों की छात्रवृत्ति रोकी गई थी. उधर उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यूपी में अब किसी की ‘लव जिहाद’ करने की हिम्मत नहीं है. एक दौर था जब लोग बंटी, बबलू जैसे झूठे नामों से हिंदू लड़कियों को जाल में फंसा लेते थे लेकिन बीजेपी सरकार में सबकुछ बदल चुका है. लव जिहाद को लेकर सरकार ने जो सख्त कानून बनाया है, उसका असर साफ देखा जा सकता है और अब अपराधियों की हिम्मत टूट गई है.
ब्रजेश पाठक ने आरोप लगाया कि सपा शासन में थानों में एक जाति विशेष का वर्चस्व था. उन्होंने कहा कि 2012 से 2017 तक यूपी में अपराध चरम पर था. थानों में आम आदमी की सुनवाई नहीं थी. वहां गुंडे-माफिया और मवालियों का राज था. उन्होंने कहा कि आम आदमी का मुकदमा तक सपा शासन में नहीं लिखा जाता था. प्रदेश के लगभग साढ़े पंद्रह सौ थानों में करीब 600 थानों में एक ही जाति के लोग काबिज थे. लोग झंडे लगाकर अवैध कब्जे करते थे. सपा सरकार में बड़ी संख्या में पुलिस की भर्ती में केवल विशेष बिरादरी के लोगों को वरीयता दी गई. हालांकि उन्हें भी वसूली किए बिना भर्ती नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अंतरजातीय विवाह पर कोई रोक नहीं है लेकिन उसके लिए डीएम के यहां आवेदन की निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करना होगा.
जवाहरबाग कांड का जिक्र किया
कानून मंत्री पाठक ने मथुरा के जवाहरबाग कांड का जिक्र करते हुए कहा कि तब पुलिस अधिकारी मुकुल द्विवेदी सहित कितने निर्दोष लोगों की जान गई. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में माफिया के कब्जे से न केवल सरकारी संपत्ति कब्जा मुक्त कराई गई है बल्कि 1866 करोड़ की संपत्ति जब्त भी की गई है. प्रदेश में 214 नए थाने बनाए गए हैं. हर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई हो रही है. सपा शासन में प्रदेश में पनपे संगठित माफिया गिरोह का नेटवर्क अब पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है.
CM योगी ने भी अखिलेश पर साधा निशाना
CM योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों की छात्रवृत्ति रोकने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को 458.66 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का ऑनलाइन ट्रांसफर करने के बाद अपने संबोधन में आरोप लगाया ‘पिछली सरकारें भेदभाव करती थीं. वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों की छात्रवृत्ति ही रोक दी गई थी. जब मार्च 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो मैं यह देखकर आश्चर्यचकित था कि उन बच्चों की छात्रवृत्ति उन्हें दी ही नहीं गई थी.’
योगी ने आरोप लगाया, ‘राजनीतिक प्रतिशोध और प्रतिद्वंद्विता के तहत बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया. उन लोगों के द्वारा यह सीधे-सीधे शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं को बाधित करने का एक षड्यंत्र था.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व में सरकार बनने पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति को उनके बैंक खातों में भेजा गया. पिछले साढे चार वर्ष में सरकार ने पूर्ववर्ती सरकारों में जितने बच्चों को छात्रवृत्ति मिलती थी, उनसे भी 40 लाख से अधिक बच्चों को वजीफा दिया है.
राजनीतिक लाभ और हानि को देखकर दी जाती थी स्कॉलरशिप
योगी ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारें अपने राजनीतिक लाभ और हानि को देखकर छात्रवृत्ति पर रोक लगाती थीं. उसमें अपना राजनीतिक लाभ और हानि देखती थी, लेकिन भाजपा के शासन में इस नफे-नुकसान की परवाह किए बगैर प्रदेश के बच्चों को आगे बढ़ने का मौका और वातावरण दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश में भाजपा के शासन काल के दौरान शासन की योजनाओं को हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचाया जा रहा है. चाहे वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए मुफ्त में कोचिंग की व्यवस्था हो या अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए कोचिंग का इंतजाम हो. पिछड़ी तथा सामान्य जातियों के बच्चों के लिए भी अभ्युदय योजना के तहत मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की गई है.
मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग से कहा कि वह वर्तमान में प्रदेश के 18 जिलों में संचालित हो रही अभ्युदय योजना को सभी 75 जिलों तक पहुंचाए. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी काल के दौरान सरकार ने तय किया कि जो बच्चे अपने घर से दूर जाकर कोचिंग पढ़ते हैं उन्हें उन्हीं के जिले में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए. अभ्युदय कोचिंग योजना उसी का परिणाम है.