आचार्य चाणक्य ने अपनी रचनाओं में जो कुछ भी लिखा है, वो मानव कल्याण के लिए है. आचार्य की कही बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं. अगर व्यक्ति आचार्य की कही बातों से सबक लेकर जीवन में आगे बढ़े, तो अपने कठिन समय को आसानी से पार कर सकता है.
अपनी कमजोरी किसी को न बताएं : आचार्य चाणक्य का कहना था कि कभी भी अपनी कमजोरी का जिक्र किसी से नहीं करना चाहिए. आज जो लोग आपके हमदर्द बने हैं, हो सकता है कि कल वही आपके विरोधी बन जाएं. ऐसे में वही लोग आपकी कमजोरी का फायदा उठाएंगे.
आलस का त्याग करें : आचार्य चाणक्य का कहना था कि आलस इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. इसलिए आलस को कभी खुद पर हावी न होने दें. आलस आपकी सारी मेहनत पर पानी फेरने की ताकत रखता है और आपकी कामयाबी का दुश्मन होता है. इसलिए आलस का पूरी तरह से त्याग करें.
वर्तमान में जिएं : जो बीत गया उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन आप यदि वर्तमान में जीना सीख लें तो अपना भविष्य जरूर बदल सकते हैं. अपने बीते कल से सबक लेकर वर्तमान में सुधार करें और भविष्य की योजना पर काम करें. वर्तमान में सजग होकर जीना कामयाबी का मूल मंत्र है.
खुद के देखे और सुने पर ही यकीन करें : कई बार लोग दूसरों की बातों में आकर भड़क जाते हैं और रिएक्ट कर देते हैं, इससे वे अपना ही नुकसान करते हैं. कभी भी कान के कच्चे न बनें. जो खुद देखें और सुनें, सिर्फ उसी पर यकीन करें. दूसरों की बातों में न आएं.
किसी को बदनाम न करें : आचार्य का कहना था कि व्यक्ति के कर्म की सजा उसे समय के साथ खुद मिल जाती है. आप व्यर्थ में किसी को बदनाम न करें. इससे आपके ही अंदर नकारात्मकता आएगी और आपका दिमाग हमेशा दूसरों के अहित के बारे में ही विचार करेगा. इसलिए अपने विचारों को शुद्ध रखें और न खुद को, न ही किसी दूसरे को बदनाम करें.