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Bournvita को बाल आयोग का नोटिस, भ्रामक विज्ञापन हटाने के निर्देश, 7 दिन में मांगी रिपोर्ट

बच्चों की सेहत बढ़ाने का दावा करने वाले बॉर्नविटा (Bournvita) में करीब आधी शक्कर होने के आरोप के बाद इसकी मालिकाना कंपनी मोंडेलेज इंडिया (Proprietorship Company Mondelez India) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) ने नोटिस भेजा है। उसे भ्रामक विज्ञापन (misleading ads), पैकेजिंग और लेबल हटाने को कहा गया है। सात दिन में कंपनी का जवाब व विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।

आरोप है कि ‘हेल्थ ड्रिंक’ के नाम पर बेचे जा रहे बॉर्नविटा में ज्यादा चीनी होने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। यह दावा विश्लेषक रेवंत हिमतसिंग्का ने एक वीडियो पोस्ट कर किया था। वीडियो वायरल हुआ तो कंपनी ने रेवंत को कानूनी नोटिस भेजा, जिस पर रेवंत ने सभी जगह से यह वीडियो डिलीट कर दिया। हालांकि, तब तक इसे 1.20 करोड़ लोग देख चुके थे, इसे कई और जगह फैलाया जाने लगा। दूसरी ओर, बाल आयोग को शिकायत मिली कि बॉर्नविटा से बच्चों को शारीरिक वृद्धि और विकास में मदद मिलने का दावा किया गया है, जबकि यह बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। आयोग ने अब नोटिस भेजकर भ्रामक विज्ञापन, पैकेजिंग, लेबल वापस लेने की विस्तृत रिपोर्ट भेजने को कहा है।

ग्राहकों को भ्रमित किया जा रहा
आयोग ने कंपनी की भारतीय इकाई के अध्यक्ष दीपक अय्यर के नाम भेजे नोटिस में लिखा, आयोग के संज्ञान में आया है कि कंपनी के बनाए उत्पाद की पैकेजिंग, लेबलिंग, डिस्प्ले और विज्ञापनों से ग्राहकों को भ्रमित किया जा रहा है। लेबल व पैकेजिंग पर सही जानकारियां भी नहीं दी जा रहीं।

कंपनी की सफाई
रेवंत के वीडियो पर बॉर्नविटा के प्रवक्ता ने दावा किया था कि 70 वर्षों में वैज्ञानिक ढंग से बने उत्पाद से कंपनी ने भारतीय ग्राहकों का विश्वास अर्जित किया है। उत्पाद कानूनों का पालन कर बनाए गए हैं। कंपनी के सभी दावों की पुष्टि की गई है, और वे पारदर्शी हैं।