रिपोर्ट : कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)
बाराबंकी। पूर्व मंत्री हाजी फरीद महफूज किदवई को चुनौती देकर सपा के युवा नेता अदनान चौधरी ने कुर्सी विधानसभा में अपने कुर्सी अनुसंधान को आगे बढ़ा दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नजदीकी अदनान की सक्रियता से पूर्व मंत्री फरीद के बीच सांप सीढ़ी का खेल भी प्रारंभ हो चुका है? अब आगे चलकर ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन फिर भी कुर्सी की सपाई कुर्सी किसके पाले में जाएगी इसे लेकर सियासी हलचलें तेज हो चली है।
लखनऊ से सटी बाराबंकी की विधानसभा कुर्सी में इस समय आने वाले 2022 के चुनाव में सपा का अगुआ कौन होगा? इसे लेकर सपा नेताओं में आगे निकलने की होड़ मची हुई है! फिलहाल यहां पर पूर्व मंत्री हाजी फरीद महफूज किदवई इससे पहले नेतृत्व कर चुके हैं। वह राजनीति के मंझे खिलाड़ी माने जाते हैं। लेकिन दूसरी ओर अब कुर्सी विधानसभा में युवा तरुणाई जलवे के साथ आवाज दे रही है। सपा के युवा नेता अदनान चौधरी जो कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नजदीकी माने जाते हैं। उन्होंने कुर्सी विधानसभा में अपनी सक्रियता को बढ़ाकर सीधे तौर पर पूर्व मंत्री हाजी फरीद महफूज किदवई को सियासी चुनौती देनी प्रारंभ कर दी है। अदनान के सक्रिय होने के बाद कुर्सी विधानसभा क्षेत्र की सपा में अंदरूनी स्तर पर हलचलें तेज हो गई हैं! ताजा हालात यह है कि पूर्व मंत्री फरीद यहां पर सपा के जो भी कार्यक्रम नेतृत्व के द्वारा घोषित किए गए उस पर वह काम कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ अदनान चौधरी भी समाजवादी पार्टी के घोषित कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं? जहां तक सवाल है स्थानीय समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं व नेताओं का तो सभी कार्यकर्ता व नेता बहुत ही संभल कर इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। जहां कुछ ऐसे स्थानीय सपा नेता है जो फरीद को नेता के तौर पर ठीक मानते हैं वही कुछ ऐसे भी समाजवादी कार्यकर्ता हैं जो अब क्षेत्र में नेता के तौर पर बदलाव चाहते हैं! उनका मानना है कि अब उनका नेतृत्व कोई युवा चेहरा करें।
इसी श्रृंखला में यदि व्यक्तित्व की बात की जाए तो अदनान चौधरी युवा भी हैं और वह व्यवहार कुशल भी नजर आते हैं। चेहरे पर ताज़गी लेकर आम कार्यकर्ता से बात करते हैं तो युवा उनसे प्रभावित भी होता है। श्री चौधरी अखिलेश यादव के काफी नजदीकी माने जाते हैं। शायद यही वजह रही कि अखिलेश मुख्यमंत्री होने के बाद भी अदनान के घर सुबेहा कई बार आए। अदनान सुबेहा नगर पंचायत में भी कई बार समाजवादी पार्टी का झंडा फहराया। तो वही जनपद स्तर के विभिन्न कार्यक्रमों में कई वर्षों से वह सपा के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। वह जितना मुस्लिमों में लोकप्रिय हैं वैसे ही हिंदुओं में भी उनकी गहरी पैठ है।
अत्यंत विश्व सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के कुर्सी क्षेत्र के कार्यकर्ता भी इस मुद्दे पर कई फड़ों में बटे हुए हैं? भले ही प्रत्यक्ष तौर पर कोई किसी का पक्ष लेता नजर ना आता हो? लेकिन फिर भी अंदरूनी स्तर पर सबके अपने अपने गुट तैयार हैं! फतेहपुर से बेलहरा तक समाजवादियों में अलग-अलग उठापटक के विचार सुनाई दे ही जाते हैं! अदनान चौधरी की सक्रियता को ऊपरी तौर पर हाजी फरीद महफूज किदवई का खेमा बहुत गंभीरता से लेता नजर नहीं आता? लेकिन फिर भी अंदरखाने की खबरें यह हैं कि यह खेमा बड़ी बेचैनी के साथ सतर्क हो चुका है? तभी तो स्थानीय समाजवादी के चर्चित चेहरों पर एक अघोषित पहरा सा लगा हुआ है? अदनान के साथ कौन जा रहा है ?कौन उनसे मिल रहा है? इस पर भी गुणा भाग जारी है!
समाजवादी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो सपा नेतृत्व का आदेश लेकर आएगा हम तो उसी के साथ रहेंगे। अब अखिलेश यादव जी को कुर्सी में कोई बदलाव करना है या नहीं करना है यह उनका अपना निर्णय है ।जबकि इस दौरान कुछ सपाइयों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बदलाव से ही विकास की डगर आसान होती है? उधर दूसरी ओर खबर यह भी है कि कई अन्य सपा के नेता भी कुर्सी विधानसभा क्षेत्र से विधायकी लड़ने का सपना पाले हुए हैं! लेकिन वे अभी उचित अवसर की ताक में है? सूत्रों का दावा है कि भले ही कुर्सी समाजवादी पार्टी में ऊपर से सब सामान्य दिखाई दे रहा हो लेकिन अंदरूनी स्तर पर पूर्व मंत्री फरीद एवं चौधरी अदनान के बीच सांप सीढ़ी का खेल प्रारंभ हो चुका है? लोगों का यह भी मानना है कि सपा की राजनीति में कुर्सी क्षेत्र में अदनान का ताजा चेहरा सपा के मंझे चेहरे हाजी फ़रीद के लिए चुनौती बन गया है। वैसे अदनान पहले से ही कुर्सी क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते आए हैं। चौधरी का यह पूरा प्रयास है कि किसी भी तरह से सपा नेतृत्व से संबंधों का लाभ उठाकर कुर्सी में अपनी चौधराहट कायम कर दी जाए। इसी भावना को लेकर उन्होंने कुर्सी में हाजी फरीद महफूज को चुनौती देते हुए सपाई कुर्सी पर बैठने का कुर्सी अनुसंधान प्रारंभ कर रखा है। जिस पर कुर्सी ही नहीं बल्कि पूरे जनपद की निगाहें गड़ चुकी हैं। अब यहां आगे चलकर सियासत का यह ऊंट किस करवट बैठेगा?यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। फिलहाल बिछी चौसर पर सधे अंदाज में पासा फेंकने का काम सियासी सुरमाओं द्वारा जारी है?