गुजरात सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन (Patidar Andolan) के दौरान दर्ज हुए 10 केसों को वापस लेने को ऐलान किया है. वापस लिए जा रहे केसों में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल (Hardik Patel) के खिलाफ दर्ज केस भी शामिल है, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला दर्ज ही रहेगा. पाटीदार नेताओं ने बताया कि इसके बाद भी 144 केस दर्ज रहेंगे. गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार ने साल 2015 से 2016 के बीच चले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए आपराधिक मामलों में से 10 केस वापस लेने का फैसला किया है.
इनमें कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज केस भी शामिल है. राज्य का गृह एवं कानून विभाग 15 अप्रैल को केस वापसी की अदालती सुनवाई में शामिल होगा.
सरकार ने शुरू नहीं की कोई नई प्रक्रिया
सरकार ने अहमदाबाद के कृष्णनगर, रामोल, नारोल, बापूनगर, साबरमती, नरोडा, अहमदाबाद क्राइम ब्रांच तथा रेलवे अहमदाबाद के 10 केस वापस लेने का ऐलान किया है. हार्दिक पटेल ने केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का स्वागत करते हुए कहा कि ये 10 केस वापस लेने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने कर दी थी. पाटीदार नेता दिनेश बामणिया ने कहा है कि पाटीदार युवकों के खिलाफ अभी भी 144 केस दर्ज हैं, जबकि आंदोलन के नए नेता अल्पेश कथीरिया ने कहा कि सरकार ने कोई नई प्रक्रिया शुरु नहीं की है.
नरेश पटेल समाज के नाम पर कर रहे हैं राजनीति
सिदसर मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी जेराम वांसजालिया ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केस वापस होने चाहिए. उन्होंने खोडलधाम ट्रसटी नरेश पटेल के राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि यह उनका निजी फैसला होगा, इससे दो पाटीदार संस्थाओं के बीच कोई मतभेद नहीं है. जबकि पाटीदार नेता पोपट फतेपरा ने कहा कि नरेश पटेल ने खोधलधाम को राजनीति का अखाडा बना दिया है. समाज के नाम पर वे राजनीति कर रहे हैं, उन्होंने पाटीदार समाज के उमियाधाम और सिदसर धाम को पत्र लिखकर नरेश पटेल को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं देने की भी अपील की है.