अराजनीतिक संगठन होने के दावे के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा ने विधानसभा चुनाव में हुंकार भरी है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विरोध का बिगुल फूंक दिया है। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर बने 40 किसान संगठनों के मंच ने गुरुवार को यूपी और उत्तराखंड की जनता के नाम खत लिखकर अपील की है। किसान वोरोधी बीजेपी के खिलाफ वोट डालकर इसे सजा देंने का आह्वान किया गया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्विटर पर इस खत को साझा किया है। उन्होंने भी हस्ताक्षर भी किया है। किसान आंदोलन का एक सिपाही नाम से लिखे गए खुले पत्र में कृषि कानूनों और लखीमपुर खीरी कांड के बारे में कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि हम किसानों के अपमान करने वाली बीजेपी को सबक सिखाने के लिए आज मुझे आपकी मदद चाहिए। बीजेपी सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती, अच्चे-बुरे का भेद नहीं समझती, संवैधानिक और असंवैधानिक का अंतर नहीं जानती है। बस यह पार्टी एक ही भाषा समझती है–वोट, सीट, सत्ता।
उत्तर प्रदेश के साथ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी 20177 के विधानसभा चुनाव में किसानों से किए अपने वादे से पलट गई। किसानों के साथ वादा था कि सभी किसानों का पूरा लोन माफ होगा लेकिन हुआ सिर्फ 44 लाख का। सिर्फ एक लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया गया। वादा था कि गन्ने का पेमेंट 14 दिन के भीतर दिलाने का, बकाया पैसे का ब्याज दिलवाने का। किसानों से वादा था सस्ती और पर्याप्त बिजली का लेकिन देश की सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश में है। वादा था फसल की दाना-दाना खरीद का लेकिन धान की पैदावार का तिहाया और गेहूं की पैदावार का छटांस भी नहीं खरीदा गया।
किसान मोर्चा की ओर से बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए सजा देने की मांग की गई है। पत्र में कहा गया है कि इस किसान विरोधी बीजेपी सरकार के कान खोलने के लिए इसे चुनाव में सजा देने की जरूरत है। भाजपा का जो नेता आपसे वोट मांगने आए, उससे इन मुद्दों पर सवाल जरूर पूछें। एक किसान का दर्द किसान ही समझ सकता है मुझे विश्वास है कि आप वोट डालते वक्त मेरी इस चिट्ठी को याद रखेंगे।