भाजपा ने शुक्रवार को जिले की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। रामनगर, दरियाबाद और कुर्सी से वर्तमान विधायकों को ही मौका दिया गया है, जबकि हैदरगढ़ विधायक बैजनाथ रावत का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव लगाया गया है। बाराबंकी सदर से जहां नए चेहरे पर भरोसा जताते हुए जिला उपाध्यक्ष अरविंद मौर्य को प्रत्याशी बनाया है वहीं जैदपुर से 2019 के उपचुनाव में उप विजेता रहे अमरीश रावत को एक बार फिर मौका दिया गया है।
छात्र जीवन से शरद ने शुरू की राजनीतिः रामनगर से प्रत्याशी बनाए गए शरद कुमार अवस्थी ने जवाहर लाल नेहरू स्मारक महाविद्यालय से छात्रसंघ चुनाव से राजनीति शुरू की थी। इसके बाद वह भाजपा युवा मोर्चा व मुख्य संगठन में विभिन्न पदों पर रहे। वर्ष 2017 में रामनगर से सपा के पूर्व मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप को हराकर जीत हासिल की थी। अब पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका दिया है।
संगठन से सत्ता तक का सतीश का सफर : दरियाबाद से प्रत्याशी बनाए गए सतीश चंद्र शर्मा को दूसरी बार पार्टी में मैदान में उतारा है। उन्होंने भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष के पद से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की। इसके बाद विभिन्न पदों पर रहे। 2010 और 2015 में सिद्धौर से जिला पंचायत सदस्य चुने गए। दो बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। वर्ष 2017 में वह 119800 मत पाकर छह बार के विधायक रहे राजीव कुमार सिंह को करीब पचास हजार मतों से शिकस्त देकर जीत हासिल की थी। वह जिले में सबसे अधिक मतों से जीतने वाले विधायक थे।
साकेंद्र का दूसरा चुनाव : कुर्सी से विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा को दोबारा मैदान में उतारा गया है। 2017 में उन्होंने पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवई को शिकस्त देकर अपनी सियासी पारी शुरू की थी। मूल रूप से सीतापुर के महमूदाबाद के रहने वाले साकेंद्र इससे पहले शिक्षक थे।
अरविंद, दिनेश की पहली पारी : बाराबंकी सदर से प्रत्याशी बनाए गए अरविंद मौर्य और हैदरगढ़ से दिनेश रावत की विधानसभा चुनाव की पहली पारी है। अरविंद इससे पहले बसपा में रह चुके हैं। हैदरगढ़ से टिकट पाने वाले दिनेश रावत की पत्नी आरती रावत सिद्धौर से ब्लाक प्रमुख हैं।