रूस, दुनिया का वो देश जिसे केजीबी एजेंट्स और युद्ध में रणनीतियों के लिए जाना जाता है. आज हम आपको इसी रूस की एक अलग कहानी से मिलवाते हैं. डायना किजी, 27 साल की वो रूसी महिला जो इस समय परमाणु क्षमता से लैस आइसब्रेकर को कमांड कर रही हैं. डायना इस समय सोशल मीडिया के साथ ही साथ हर विदेशी न्यूज एजेंसी और न्यूज चैनल पर भी चर्चा का केंद्र बिंदु हैं.
आर्कटिक सागर में जहाज को गाइड करती किजी
अपनी दूरबीन से सामने आने वाले आइसबर्गों को देखती हुई कीजी अपने बर्फ तोड़ने वाले रूसी जहाज के खेवनहार (helmsman ) को चीख कर आदेश देती हैं, ’10 डिग्री बाईं तरफ!’ यह जहाज परमाणु ऊर्जा से चलता है और धीरे धीरे नॉर्थ पोल की तरफ बढ़ रहा है.
कीजी की उम्र अभी सिर्फ 27 साल है और वो ‘जीत के 50 साल’ नाम के जहाज के तीन चीफ मेट में से एक हैं. चीफ मेट यानी कप्तान के ठीक बाद जहाज के लिए जिम्मेदार अधिकारी. वो यह तय करती हैं कि आर्कटिक सागर के जमे हुए पानियों से होता हुआ उनका विशालकाय जहाज कौन सा रास्ता लेगा.
जहाज के क्रू में सभी पुरुष
जहाज के ब्रिज पर खड़ीं कीजी दर्जनों सेंसरों से आने वाली जानकारी दिखा रहे स्क्रीनों से घिरी हैं. इनमें से एक कई किलोमीटर दूर फैली बर्फ कितनी मोटी है, ये बताता है. दूरबीन में एक छोटा सा सफेद बिंदु दिखाई देने से कीजी तुरंत समझ जाती हैं कि आगे एक पोलर भालू है.
ब्रिज के क्रू में सभी पुरुष हैं और उनमें से कई तो कीजी से उम्र में काफी बड़े हैं. फिर भी कीजी उन्हें आदेश देती है कि वो जहाज को धीमा कर लें ताकि वो भालू के शिकार करने के रास्ते में बाधा ना डालें. सभी कर्मी उनके आदेश का पालन करते हैं और जहाज के नीचे से आ रही बर्फ के टूटने की आवाज कम होने लगती है. रूस के बढ़ते हुए परमाणु आइसब्रेकर जहाजी बेड़े में कीजी सबसे वरिष्ठ महिला हैं. यह बेड़ा सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोजातोम का है. जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्टिक और खुलता जा रहा है और रूस को उम्मीद है कि ऐसे में यह बेड़ा इस इलाके पर उसे प्रभुत्व बनाने में सहायक होगा.
कोई बहस नहीं बस काम पर ध्यान
कीजी के जहाज पर नौ और महिलाएं हैं जो रसोई, मेडिकल सर्विसेज और सफाई सेवाओं में काम करती हैं. जहाज पर काम करने वाले बाकी 95 कर्मियों में सभी पुरुष हैं और उनमें से कइयों ने बताया कि उन्हें एक महिला से आदेश लेना अच्छा नहीं लगता. कीजी भेदभाव के बारे में बात नहीं करना चाहती हैं. वो अपने काम में बेस्ट रहें, उनका अंतिम लक्ष्य बस यही है. जहाज एक बार में चार महीनों तक आर्कटिक में घूमता है और सुबह और शाम को चार चार घंटों की शिफ्ट के दौरान कीजी ही इसकी दिशा तय करती हैं.
अधिकतर कर्मियों की तरह कीजी भी रूस के दूसरे शहर सेंट पीटर्सबर्ग से हैं. समुद्र में काम करने का उनका बचपन से सपना था. शुरू में वो रूस की नौसेना में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन संत पीटर्सबर्ग के नेवल इंस्टीट्यूट में महिलाएं ट्रेनिंग नहीं ले पाती हैं. संयोगवश जैसे ही उनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई उसी समय व्यापारिक जहाजरानी के एक मैरीटाइम विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए एक कोर्स शुरू हुआ. कीजी ने कहा, ‘मैंने इसे एक संकेत की तरह लिया. जब आपके सामने एक नया रास्ता खुल जाए तो किसी बंद दरवाजे पर दस्तक देने का क्या फायदा.’
जहाज का कैप्टन बनने का सपना
वहां से पास आउट होने के कुछ ही समय बाद उन्हें एक आइसब्रेकर बेड़े में शामिल होने का इनवाइट मिला. उन्हें तुरंत इस ऑफर से प्यार हो गया. साल 2018 में वो इस जहाज के क्रू में शामिल हो गईं, जो कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाला उनके जीवन का पहला जहाज है. वो जल्द कर्मियों में ऊपर की ओर बढ़ती गईं. उन्होंने अब तक आर्कटिक के दर्जनों चक्कर काट लिए हैं और नॉर्थ पोल तक भी नौ बार हो आई हैं. 45 वर्षीय दिमित्री निकितिन उनके कलीग्स में से एक हैं. वो कहते हैं कि कीजी एक मिसाल कायम कर रही हैं. इस बीच कीजी बड़े सपने देख रही हैं. वो कहती हैं, ‘मेरा लक्ष्य है कि मैं एक दिन कप्तान बनूं.’