एथलेटिक्स(athletics) में भारत को पहला ओलिंपिक गोल्ड मेडल(Gold medal) दिलाने वाले नीरज चोपड़ा(neeraj chopra) ने इतिहास रच दिया. उन्होंने जैवलिन थ्रो(javelin throw) में 87.58 मीटर के स्कोर के साथ भाला फेंका और देश को गोल्ड मेडल जिताया. बता दें कि नीरज चोपड़ा सेना में सूबेदार के पद पर तैनात थे. लेकिन उनकी इस जीत के बाद सेना उन्हें बड़ा पद देना चाहती है. लेकिन वो चाहकर भी नीरज को वो पद नहीं दे सकती.
दरअसल, सेना में सूबेदार के पद पर तैनात नीरज चोपड़ा को सेना कमीशंड आफिसर(commissioned officer) के पद पर तैनात करना चाहती है. लेकिन सेना में जेसीओ रैंक के अधिकारियों के लिए भी कमीशंड आफिसर बनने के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देना पड़ता है. इस वजह से सेना के पास नीरज चोपड़ा को फिलहाल सूबेदार मेजर या फिर मानद आनरेरी मेजर के तौर पर प्रमोशन देने का ही रास्ता है। वहीं अब नीरज इन दोनों में से जो भी विकल्प चुनेंगे सेना खुशी-खुशी उन्हें मनचाही पदोन्नति देगी।
बता दें कि टोक्यो ओलिंपिक(Tokyo Olympic) में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर सेना भी काफी खुश है और खेल जगत के अपने हीरो को पदोन्नति देने के लिए तैयार भी है। हालांकि इस उपलब्धि के आधार पर ही उन्हें सीधे कमीशंड अधिकारी बनाने की चर्चाओं पर सैन्य सूत्रों ने कहा कि चाहकर भी सेना यह नहीं कर सकती। सेना में अधिकारी को राष्ट्रपति की ओर से कमीशन प्रदान किया जाता है। इसके लिए अनिवार्य प्रक्रियाएं हैं जिन्हें बाइपास करना संभव नहीं है। सेना के जेसीओ(JCO) भी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए ही कमीशंड अफसर बनते हैं।
हालांकि ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद रातोंरात स्टार बन चुके नीरज चोपड़ा अब अगले पेरिस ओलिंपिक(Paris Olympics) पर निगाहें लगा रहे हैं और ऐसे में उनके पास सेना का कमीशन हासिल करने के लिए शायद ही वक्त हो। सैन्य सूत्रों ने कहा कि नीरज सूबेदार मेजर बनते हैं तो चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे और यदि मानद रूप से मेजर की पदोन्नति का विकल्प चुनते हैं तो नियमों के अनुसार उन्हें एक साल के भीतर ही रिटायर होना पड़ेगा।
बता दें कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी(mahendra singh dhoni) भी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के रूप में इसका हिस्सा हैं। वहीं क्रिकेट जगत के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर(Sachin tendulkar) को भी मानद ग्रुप कैप्टन के रूप में वायुसेना का हिस्सा बनाया था।