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पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और उसके दो साथी ढेर, सैटलाइट फोन बना आतंकियों का काल

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में सेना (Army) ने आतंकी सुलेमान शाह (Terrorist Suleman Shah) उर्फ हाशिम मूसा को मारकर पहगाम हमले (Pahgam attacks) का बदला ले लिया है। सेना के शीर्ष पैरा कमांडो ने सोमवार को पहलगाम आतंकवादी हमले के कथित मास्टरमाइंड और उसके दो साथियों को मार गिराया। सुरक्षा बलों ने एक तकनीकी संकेत मिलने के बाद ‘ऑपरेशन महादेव’ नामक अभियान शुरू किया। सूत्रों का कहना है कि इस ऑपरेशन की तैयारी कई दिन पहले ही हो गई थी।

एक रिपोर्ट की मानें तो सुलेमान शाह पहले पाकिस्तानी सेना की एलीट यूनिट में कमांडो था। बाद में उसने आतंकी हाफिज सईद का साथ पकड़ा और लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। अधिकारियों के मुताबिक, आज सेना की कार्रवाई में मारे गए अन्य आतंकवादियों की पहचान जिब्रान (जो पिछले साल सोनमर्ग सुरंग हमले में कथित रूप से शामिल था) और हमजा अफगानी के रूप में हुई है।

सैटलाइट फोन बना आतंकियों का काल
आतंकियों ने कुछ दिन पहले ही टी82 अल्ट्रासेट कम्युनिकेशन डिवाइस ऐक्टिव कर दी थी। यह एक तरह का सैटलाइट फोन था जिसका इस्तेमाल पहलगाम हमले के दौरान आतंकियों ने किया था। इसी डिवाइस से सेना को आतंकियों के बारे में पता चल गया। सेना उन्हें ट्रैक करने लगी। अब इंतजार था तो ऐसी जगह का जहां आतंकियों को फंसाया जा सके और मौत के घाट उतारा जा सके।

सोमवार को सुबह 8 बजे ही ड्रोन से पता लागया गया कि आतंकी कहां हैं। इसके बाद राष्ट्रीय राइफल्स और पारा स्पेशन फोर्स के कमांडो ने महादेव पहाड़ी पर चढ़ाई शुरू कर दी। आधे घंटे में ही सेना को आतंकियों की सही लोकेशन मिल गई। 11 बजे सेना ने फायरिंग शुरू कर दी। 45 मिनट के अंदर ही पहला आतंकी मारा गया। इसके बाद सेना ने दो किलोमीटर के इलाके को घेर लिया और आतंकियों की तलाश शुरू करदी। लगभग एक घंटे के बाद ही दो अन्य आतंकियों को भी ढेर कर दिया गया।

आतंकियों ने जंगल में बड़ी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार इकट्ठे कर रखे ते। इसमें कार्बाइन और एके 47 राइफलें भी शामिल थीं । सुरक्षाबलों का कहना है कि आतंकी किसी बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे। पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतकों में अधिकतर पर्यटक थे। इसके बाद सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे के खिलाफ सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था।