देश के एक महान मृदुभाषी कलाकार दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में देहांत हो गया. मुंबई के हिन्दुजा अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. मशहूर एक्टर दिलीप कुमार का पहाड़ों की रानी मसूरी से बेहद लगाव था. उनके देहांत से मसूरी वासियों को भी गहरा शोक है. बताते हैं कि दिलीप कुमार जब भी मसूरी आते थे तो सवॉय होटल में रुका करते थे.
अभिनेता दिलीप कुमार के बारे में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि दिलीप कुमार आलीशान शख्सियत के मालिक और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. 1959-60 में जब दिलीप कुमार मसूरी घूमने आए तो सवॉय होटल में रुके थे. वह उनका व्यक्तिगत भ्रमण था. उनके साथ उनकी पत्नी सायरा बानो भी थीं.
सायरा बानो का जन्म मसूरी के कम्युनिटी अस्पताल में सन 1943 में हुआ था. इस लिहाज से मसूरी दिलीप कुमार का ससुराल भी था, जिससे उनको काफी लगाव था.
गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि 1972 में बनी दिलीप कुमार की दास्तान फिल्म में सवॉय होटल को दर्शाया गया था. उन्होंने बताया कि फिल्म कलाकार सईद जाफरी भी मसूरी में पढ़े हैं. सईद जाफरी दिलीप कुमार के परम मित्र थे. गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार का जाना निश्चित ही दुखदायी है. क्योंकि उन जैसा कलाकार फिर नहीं आयेगा. दिलीप कुमार सिनेमा के शुरुआती वक्त के हैं. उस समय की फिल्मों में उनकी आत्मा होती थी. आज फिल्मों का स्वरूप बदल गया है.
गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार एक कलाकार नहीं बल्कि इंस्टीट्यूशन थे. वह भारतीय सिनेमा के मील का पत्थर थे. उनके भारत में ही नहीं बल्कि, यूरोप व पाकिस्तान में भी लाखों प्रशंसक हैं.
बता दें कि दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. लेकिन जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो वह पाकिस्तान नहीं गए. उन्होंने अपना नाम यूसुफ से दिलीप कुमार रख लिया. वह भारत को बहुत प्यार करते थे.
मसूरी पालिका सभासद व वरिष्ठ नागरिक मदन मोहन शर्मा कहते हैं कि मेरा सौभाग्य है कि जब दिलीप कुमार मसूरी आए थे तो सवॉय होटल में रुके थे. वहां की फोटोग्राफी का कार्य मेरे पिता करते थे. मैं उनके साथ सवॉय होटल गया और दिलीप कुमार के साथ फोटो खिंचवाई. दिलीप कुमार का विनम्र स्वभाव देखकर हर कोई हैरान रहता था. उनके स्वभाव में तिल बराबर भी घमंड नहीं था. आज उनके जैसा प्रेरणा देने वाला कलाकार पैदा नहीं हो सकता.