उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नई आरक्षण सूची को लेकर अब आपत्तियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. ताजा मामला हाथरस जनपद का है, जहां एक पूर्व प्रधान का आरोप है कि पंचायती राज विभाग ने एक नया गांव बनाते हुए उसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया है. दरअसल, हाथरस ब्लॉक की ग्राम पंचायत नगला अलिया में एक ऐसा माजरा शामिल किया है, जिसे गांव के लोग नगला हीरा सिंह के नाम से जानते हैं. जबकि पंचायती राज विभाग की मानें तो उसके सरकारी अभिलेखों में उस माजरे का नाम रमनगला की मढ़ैया दर्ज है, लेकिन पूर्व प्रधान के पति ने पंचायती राज के इस तर्क को खारिज करते हुए डीएम से शिकायत की है.
नए मजरे के शामिल होने से बिगड़ा समीकरण
पूर्व प्रधान अमिता सिंह के पति सतीश कुमार सिंह का कहना है कि रमनगला की मढैया जैसा कोई मजरा ही नहीं है. अब गांव मजरे के शामिल होने से पंचायत का आरक्षण जरूर बिगड़ गया है. उनका आरोप है कि ग्राम पंचायत नगला अलिया में दशकों से केवल गांव नगला अलिया, वोजिया व नगला हीरा सिंह शामिल है. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि कि कुछ माह पूर्व नगर पालिका हाथरस के सीमा विस्तार के कारण रमनगला की मढ़ैया के नाम से कथित मजरा शामिल होना पंचायत राज विभाग ने दर्शाया है जोकि पूरी तरह से गलत है. जबकि इस नाम से कोई मजरा वास्तविकता में है ही नहीं.
ये है आरोप
उनका आरोप है कि अब कथित रमनगला की मढ़ैया के नाम शामिल होने के उपरांत अब इस ग्राम पंचायत की आबादी 2935 कर दी गयी है. जबकि रमनगला की मढ़ैया नाम से उनके गांव की पंचायत तो दूर आसपास की ग्राम पंचायत में भी कोई इस मजरे के नाम से कोई मजरा नहीं है. उनकी मांग है कि इसकी सत्यता के लिए भौतिक सत्यापन होना बेहद जरूरी है. इसके अलावा उनका कहना है कि ग्राम पंचायत नगला अलिया में अनुसूचित जाति की आबादी 15.54 प्रतिशत है. अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 2.28 प्रतिशत है. बाकी आबादी केवल सामान्य वर्ग की है. ऐसे में ग्राम पंचायत नगला अलिया के प्रधान पद का अंतरिम आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए कैसे तय किया जा सकता है? उन्होंने डीएम से पूरे मामले की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है.