दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की चुनौती को उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने स्वीकार तो किया, लेकिन आमने सामने की बहस से किनारा कर लिया। कौशिक ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता राजनीतिक रूप से कतई गंभीर नहीं हैं और दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के पत्र से यह जाहिर हो रहा है। बहस उन्हीं से की जा सकती है, जो बहस के प्रति गंभीर हों। कौशिक ने सिसौदिया को तीन पेज का पत्र भेजा है। वहीं, उत्तराखंड आने से पहले सिसोदिया ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार सौ काम नहीं, सिर्फ पांच काम बताए जिससे जनता का भला हुआ हो।
रविवार को विधानसभा में मीडिया से मुखातिब कौशिक ने कहा कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री सिसौदिया की ओर से उन्हें भेजे गए पत्र में तथ्यात्मक रूप से गलती है। यह पत्र सरकारी पैड पर भेजा गया है और इसमें बहस के लिए जनवरी 2020 की तिथि दी गई है, जो कब की बीत चुकी है। कौशिक के मुताबिक उन्होंने इस पत्र का जवाब दिया है, लेकिन बहस का सवाल इसलिए नहीं बनता, क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार राजनीतिक रूप से गंभीर नहीं है।
दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री का पत्र बताता है कि आप के नेता उतावलेपन में काम करते हैं। वे राजनेताओं पर पहले आरोप लगाते हैं और बाद में माफी मांग लेते हैं। बहस उन्हीं से की जा सकती है जो बहस के प्रति गंभीर हों। कौशिक ने आप नेताओं को पर्यटक राजनेता करार दिया और कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहले दिल्ली के लोगों को धोखा दिया और अब वो उत्तराखंड के लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।
कौशिक के पत्र की मुख्य बातें
1. अन्ना हजारे की ओर से खड़े किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से आम आदमी पार्टी बहुत दूर हो चुकी है। इसी आंदोलन से आप का जन्म हुआ था।
2. आम आदमी पार्टी इस समय सेलर ऑफ होप (उम्मीद के व्यापारी) बन चुकी है।
3. आम आदमी पार्टी का पूरा नेतृत्व पलायनवादी मानसिकता का शिकार हो चुका है। पार्टी के नेता पहले नेता बनने के लिए पंजाब पहुंचे थे, अब उत्तराखंड आए हैं। पर्यटक राजनेताओं का स्वागत है।
4. जहां तक बहस का सवाल है। उत्तराखंड भाजपा का कोई मंत्री या राजनेता ही नहीं बल्कि एक छोटा कार्यकर्ता भी मुद्दा आधारित राजनीतिक बहस कर सकता है।
5. दिल्ली मॉडल का हाल सभी देख रहे हैं। आप ने 400 नई लाइब्रेरी खोलने की घोषणा की थी, इसमें से एक चौथाई भी नहीं खुल पाईं। दिल्ली मेें सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।
6. आम आदमी पार्टी की सरकार को बताना चाहिए कि पिछले सात साल में दिल्ली में कितने नए कॉलेज, विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए। उत्तराखंड से तुलना कर लीजिए आपको उत्तर मिल जाएगा।
7. देश की राजधानी दिल्ली को आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। जैसे ही कोरोना शुरू हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद को आइसोलेट कर लिया। जिन मोहल्ला क्लीनिकों का प्रचार किया गया, उनमें से अधिकतर बंद हो गए।
8. दिल्ली में प्रदूषण की हालत चिंताजनक है और इसका ठीकरा किसानों के सर फोड़ा जा रहा है। दिल्ली की अधिकतर कॉलोनियों में एक-दो घंटे पानी की सप्लाई कर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है।
9. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री की ओर से पत्र जारी किया जा रहा है और उसमें तारीख तक ठीक नहीं है। दिल्ली मॉडल पर चर्चा के लिए जनवरी 2020 की तारीख तय की गई है। इससे पता चलता है कि तथ्यों को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार कितनी गंभीर है। किसी गंभीर मुद्दे पर बात करने से पहले समुचित तैयारी जरूर करनी चाहिए, ताकि आप 2021 की शुभकामनाएं 2020 के नाम पर भेजते न दिखाई दें।