वेलिंगटन में ये मुकाबला इंग्लैंड और न्यूजीलैंड (England vs New Zealand) के बीच खेला गया था. साल था 1992 और तारीख थी 6 से 10 फरवरी. यानी आज ही के दिन इस मुकाबले का आखिरी दिन था. मैच ड्रॉ रहा था, लेकिन इस टेस्ट ने इंग्लैंड के एक तूफानी गेंदबाज की बलि ले ली थी. इतना ही नहीं, ये सीरीज का तीसरा मैच था. शुरुआती दोनों टेस्ट जीतकर इंग्लैंड की टीम बढ़त बना चुकी थी. इंग्लैंड के महान ऑलराउंडर इयान बॉथम का ये 100वां टेस्ट था. ये मुकाबला ड्रॉ रहा, लेकिन इंग्लैंड के तेज गेंदबाज डेविड लॉरेंस (David Lawrence) के लिए ये ड्रॉ मैच ही उनके करियर और उनकी जिंदगी का सबसे खौफनाक पल लेकर आया. इतना खौफनाक कि स्टेडियम में बैठे दर्शक तक सहम गए.
दरअसल, इंग्लैंड ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 305 रन बनाए. एलक स्टीवर्ट ने सबसे ज्यादा 107 रन बनाए तो ग्रीम हिक ने 43 रन बनाए. कप्तान ग्राहम गूच और एलन लैंब ने 30-30 रनों का योगदान दिया. न्यूजीलैंड के लिए दीपक पटेल ने चार और डैनी मॉरिसन ने तीन विकेट लिए. जवाब में न्यूजीलैंड ने पहली पारी 9 विकेट खोकर 432 रनों पर घोषित की. एंड्रयू जोंस ने 143 और जॉन राइट ने 116 रन की जोरदार पारी खेली. ग्रीम हिक ने चार विकेट लिए. अब बारी इंग्लैंड की दूसरी पारी की थी जो 7 विकेट खोकर 359 रनों पर घोषित की गई. वो भी एलन लैंब के 142 रनों की बदौलत. रॉबिन स्मिथ ने 76 तो एलक स्टीवर्ट ने 63 रन बनाए. इस बार मर्फी और दीपक पटेल को तीन तीन विकेट मिले.
इस एक पल ने सब खत्म कर दिया
इसके बाद 10 फरवरी को वो लम्हा आया, जिसने डेविड लॉरेंस की जिदंगी का रुख ही बदलकर रख दिया. डेविड ने पहली पारी में उन्होंने 27 ओवर फेंके और एक विकेट लिया. लेकिन दूसरी पारी में जैसे ही वे अपने तीसरे ओवर की दूसरी गेंद डालने दौड़े तो बीच में ही बिलखते हुए गिर पड़े. उनके बाएं पैर की नी कैप यानी घुटने की टोपी फ्रैक्चर हो गई. पूरा स्टेडियम डेविड लॉरेंस की चीखों से गूंज उठा. डेविड की चीख के साथ आंसू भी निकल पड़े. घुटने के फ्रैक्चर होने की आवाज इतनी तेज थी कि मैच देख रहे दर्शकों का कहना था कि एकबारगी तो यह लगा कि किसी पिस्तौल से गोली चली है. इसके साथ ही उनका इंटरनेशनल क्रिकेट खत्म हो गया. इसके चलते 29 साल की उम्र में ही उन्हें संन्यास ले लेना पड़ा. अपनी दूसरी पारी में न्यूजीलैंड ने 3 विकेट पर 43 रन बनाए और मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ.