असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने राज्य में सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को रविवार को मंजूरी दे दी. रविवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया है. विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा. बता दें कि असम विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू होने वाला है. असम सरकार में संसदीय मामलों के मंत्री और सरकार के प्रवक्ता चंद्र मोहन पटवारी ने बताया कि मदरसा और संस्कृत स्कूलों से जुड़े मौजूदा कानूनों को वापस ले लिया जाएगा. इसके लिए राज्य विधानसभा के अगले सत्र में एक विधेयक लाया जाएगा.
मालूम हो कि इससे पहले असम सरकार में शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा मदरसों और संस्कृत स्कूलों को जल्द ही नियमित स्कूलों के रूप में पुनर्गठित किया जाएगा. उनका कहना था कि धार्मिक शिक्षा के लिए सरकारी फंड ख़र्च नहीं किया जा सकता. ऐसे में राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, असम को भंग कर दिया जाएगा. शिक्षा मंत्री सरमा ने यह भी कहा था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं और सरकार इन संस्थानों पर हर साल करीब 260 करोड़ रुपये खर्च करती है.
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष अमीनुल हक लस्कर ने कहा था कि मदरसे निजी पार्टियों द्वारा चलाए जाते हैं, इन (निजी) मदरसों को बंद नहीं किया जाएगा. मतलब, सामाजिक संगठनों और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे प्राइवेट मदरसे चलते रहेंगे. गौरतलब है कि असम में दो तरह के मदरसे संचालित होते हैं, एक सरकारी मान्यता प्राप्त वाले और दूसरे वो जो निजी संगठन चलाते हैं.